छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर प्रधानमंत्री मोदी ने मांगी माफी, वधवन बंदरगाह की आधारशिला रख महाराष्ट्र के विकास का किया संकल्प.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। प्रधानमंत्री ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत के लिए एक आदर्श और पूजनीय व्यक्तित्व हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। प्रधानमंत्री ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत के लिए एक आदर्श और पूजनीय व्यक्तित्व हैं। उन्होंने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आराध्य देवता हैं और उनके प्रति अपार सम्मान है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्होंने इस घटना के लिए माफी मांगी। घटना की बात करें तो, सोमवार को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के ऐतिहासिक राजकोट किले में 35 फुट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिर गई थी। यह मूर्ति मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक थी। इस घटना ने पूरे राज्य में भावनात्मक आक्रोश और दु:ख की लहर पैदा कर दी। कई स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं ने भी इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “2013 में जब भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया, तो मैंने सबसे पहले रायगढ़ किले में जाकर छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने प्रार्थना की थी। मैंने उनसे आशीर्वाद लिया था। उनके प्रति मेरी श्रद्धा और सम्मान कभी कम नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “जो कुछ भी सिंधुदुर्ग में हुआ, वह मेरे और मेरे सभी साथियों के लिए गहरा आघात है। छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए केवल एक नाम नहीं हैं, वे हमारे आराध्य देवता हैं। मैं अपने आराध्य देव के चरणों में मस्तक रखकर इस घटना के लिए माफी मांगता हूं।”
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प्रधानमंत्री मोदी ने यह बयान वधवन बंदरगाह की आधारशिला रखते हुए दिया। इस अवसर पर उन्होंने पालघर जिले में कई विकास कार्यों का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में विकास की असीमित संभावनाएं हैं। यहां समुद्र तट हैं जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इन तटों से जुड़े ऐतिहासिक महत्व के कारण महाराष्ट्र की भूमि व्यापार और विकास के लिए उपयुक्त है। वधवन बंदरगाह के महत्व को बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “यह बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट बनने जा रहा है। यह न केवल भारत में बल्कि दुनिया के सबसे गहरे पोर्ट में से एक होगा। इसके माध्यम से महाराष्ट्र और पूरे देश को विकास के नए अवसर मिलेंगे।”
प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के विकास की संभावना पर जोर देते हुए कहा कि यहां के तटों के साथ-साथ, प्राकृतिक संसाधन और सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र के पास अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए आवश्यक सभी संसाधन हैं, और अब इस वधवन पोर्ट के माध्यम से देश और दुनिया के साथ जुड़ने के लिए नए द्वार खुलेंगे।” वधवन बंदरगाह की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रोजेक्ट न केवल महाराष्ट्र के लिए बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और इसे दुनिया के बड़े व्यापारिक केंद्रों में शामिल किया जाएगा।
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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार का मुख्य उद्देश्य भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाना है और इस दिशा में यह बंदरगाह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा कि यह बंदरगाह न केवल भारत बल्कि विश्व के कई देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा।