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भारत की बायोइकोनॉमी को नई दिशा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बायोई3 पॉलिसी की शुरुआत की.

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में बायोइकोनॉमी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नीति, बायो ई3 पॉलिसी (BioE3 Policy) को औपचारिक रूप से जारी किया। इस नीति के लागू होने से भारत को जैविक संसाधनों के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने वाला देश बनने की उम्मीद है, जो अगली औद्योगिक क्रांति में वैश्विक पथप्रदर्शक साबित हो सकता है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में बायोइकोनॉमी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नीति, बायो ई3 पॉलिसी (BioE3 Policy) को औपचारिक रूप से जारी किया। इस नीति के लागू होने से भारत को जैविक संसाधनों के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने वाला देश बनने की उम्मीद है, जो अगली औद्योगिक क्रांति में वैश्विक पथप्रदर्शक साबित हो सकता है। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह नीति ‘विकसित भारत 2047’ की परिकल्पना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बायो ई3 पॉलिसी को मंजूरी दी गई थी। इस नीति का उद्देश्य भारत को ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाना है। साथ ही, यह नीति प्रधानमंत्री के मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) को भी सशक्त बनाएगी। बायोई3 पॉलिसी के तहत जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे भारत की जैविक क्षमता को पूर्णतः विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

बायो ई3 पॉलिसी का खाद्य, ऊर्जा, और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। इस नीति के तहत बायो-बेस्ड केमिकल्स और एंजाइम्स, कार्यात्मक खाद्य पदार्थ, स्मार्ट प्रोटीन, सटीक जैव चिकित्सा, और कार्बन कैप्चर जैसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग और सतत विकास को सुनिश्चित करना है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि बायो-मैनुफैक्चरिंग और बायो-फाउंड्री, भारत की जैव अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये प्रयास न केवल ग्रीन ग्रोथ को प्रोत्साहित करेंगे, बल्कि देश में नए रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देंगे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बायो टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भारत की प्रगति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए रणनीतिक बदलावों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि बायो प्रौद्योगिकी अनुसंधान और बायो स्टार्टअप्स को अब प्राथमिकता दी गई है और ये देश की अर्थव्यवस्था में केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह बायो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है, क्योंकि भारत के पास जैव संसाधनों का विशाल भंडार है, जिसका अभी तक पूर्ण दोहन नहीं हुआ है।

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भारत की जैव विविधता और अद्वितीय जैव संसाधनों पर जोर देते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि हिमालय की जैव विविधता और 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा जैसे प्राकृतिक संसाधन, बायो टेक्नोलॉजी में भारत को लाभकारी स्थिति में रखते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष शुरू किया गया डीप सी मिशन समुद्र के नीचे की जैव विविधता की खोज में सहायक सिद्ध होगा। बायोई3 पॉलिसी के अंतर्गत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल को विशेष महत्व दिया गया है। इस मॉडल के तहत उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इसके साथ ही यह नीति जलवायु अनुकूल कृषि, भविष्य के समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करेगी।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बायो ई3 पॉलिसी जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगी। उन्होंने इस नीति को एक मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह न केवल आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहायक होगी। रिलीज समारोह में बायो टेक्नोलॉजी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत भी उपस्थित थे। इन अधिकारियों ने बायो ई3 पॉलिसी के महत्व और उसके संभावित प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। बायो ई3 पॉलिसी का उद्देश्य भारत को जैव अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। इस नीति के माध्यम से भारत न केवल अपने प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण उपयोग कर पाएगा, बल्कि वैश्विक पटल पर भी अपनी पहचान बनाएगा।

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