इज़राइल को भारतीय हथियार निर्यात पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर.
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें भारतीय कंपनियों द्वारा इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रथा को तुरंत रोका जाना चाहिए क्योंकि यह भारतीय संविधान के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करती है।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें भारतीय कंपनियों द्वारा इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रथा को तुरंत रोका जाना चाहिए क्योंकि यह भारतीय संविधान के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करती है। याचिका में विशेष रूप से उन भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने का अनुरोध किया गया है जो वर्तमान में गाज़ा में चल रहे संघर्ष में शामिल इज़राइल को हथियार और सैन्य उपकरण आपूर्ति कर रही हैं। इसके अलावा, यह सरकार से भविष्य में ऐसे निर्यातों के लिए नए लाइसेंस जारी न करने की भी मांग करती है।
रक्षा मंत्रालय को याचिका में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का हवाला दिया है, जिन पर भारत हस्ताक्षरकर्ता है। उनका तर्क है कि ये समझौते भारत को उन देशों को सैन्य हथियारों की आपूर्ति न करने का दायित्व देते हैं जिन पर युद्ध अपराधों का आरोप है। याचिका के अनुसार, किसी भी ऐसे हथियार का निर्यात जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन कर सकता है, उसे अवैध और भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के खिलाफ माना जाना चाहिए।
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यह PIL ग्यारह व्यक्तियों के एक समूह द्वारा दायर की गई है, जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, अर्थशास्त्री जीन ड्रेज़ और कार्यकर्ता निखिल डे जैसे प्रमुख सार्वजनिक व्यक्ति शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं में नोएडा के निवासी अशोक कुमार शर्मा भी शामिल हैं, जिन्होंने गाज़ा में चल रहे संघर्ष में भारतीय कंपनियों की भूमिका को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि कई कंपनियां, जिनमें रक्षा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी शामिल हैं, इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति में लगी हुई हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है, जो समानता का अधिकार और जीवन का अधिकार सुनिश्चित करते हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत के दायित्वों का भी उल्लंघन है।
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याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है, कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार सदस्य के रूप में भारत की भूमिका दांव पर है। वे कहते हैं कि ऐसे हथियारों के निर्यात की निरंतरता से भारत की प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है और मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता कमजोर हो सकती है। PIL का उद्देश्य सरकार की हथियार निर्यात नीतियों की न्यायिक समीक्षा कराना है, विशेष रूप से उन संघर्ष क्षेत्रों में जहां इन हथियारों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवीय मानदंडों के उल्लंघन में होने की उच्च संभावना है।