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राजस्थान बीजेपी में आंतरिक विवाद, विधायक रामबिलास मीणा ने मंत्री झाबर सिंह खर्रा पर उठाए सवाल, वसुंधरा राजे की टिप्पणी से सियासी हलचल.

राजस्थान बीजेपी में आंतरिक मतभेद सामने आ गए हैं, जब बीजेपी के विधायक रामबिलास मीणा ने अपनी ही सरकार के एक मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मीणा का आरोप है कि उनकी सरकार के मंत्री, झाबर सिंह खर्रा, जनता के काम में लापरवाही कर रहे हैं।

राजस्थान बीजेपी में आंतरिक मतभेद सामने आ गए हैं, जब बीजेपी के विधायक रामबिलास मीणा ने अपनी ही सरकार के एक मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मीणा का आरोप है कि उनकी सरकार के मंत्री, झाबर सिंह खर्रा, जनता के काम में लापरवाही कर रहे हैं। रामबिलास मीणा, जो लालसोट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, ने झाबर सिंह खर्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने चार बार मंत्री झाबर सिंह खर्रा के कार्यालय का दौरा किया, लेकिन उनका कोई काम अब तक पूरा नहीं हुआ। मीणा ने आरोप लगाया कि खर्रा मंत्री पद पर रहते हुए भी जनता की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

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इसके जवाब में, झाबर सिंह खर्रा ने आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कहा कि उन्होंने एक जूनियर इंजीनियर (JE) के ट्रांसफर के लिए अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। खर्रा ने बताया कि राज्य में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर रोक लगी हुई है, इस कारण उन्होंने ट्रांसफर करने से मना कर दिया। खर्रा ने इस मुद्दे की शिकायत मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से भी की है। इस बीच, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में सिक्किम के नए राज्यपाल ओम माथुर के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान एक बयान दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। वसुंधरा राजे ने टिप्पणी की कि कुछ लोग, अनुभव की कमी के बावजूद, जल्दी ही उच्च पदों पर पहुंच जाते हैं और खुद को श्रेष्ठ मानने लगते हैं। राजे ने कहा, “लोगों को पीतल की लौंग मिल जाती है, तो वे खुद को सर्राफ समझ बैठते हैं।”

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हालांकि वसुंधरा राजे ने किसी का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तीखा कटाक्ष था। भजनलाल शर्मा, जो विधायक के रूप में अपने पहले कार्यकाल के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बने थे, को इस बयान का संभावित लक्षित व्यक्ति माना जा रहा है। राजस्थान बीजेपी में ये आंतरिक मतभेद और आरोप-प्रत्यारोप पार्टी की एकता को चुनौती दे रहे हैं और यह दर्शाते हैं कि पार्टी के भीतर असंतोष और असहमति के सुर भी उठने लगे हैं। इन घटनाओं से पार्टी की आंतरिक राजनीति में उथल-पुथल के संकेत मिलते हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में पार्टी कैसे इन मुद्दों को सुलझाती है।

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