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बिहार की राजनीति में नई हलचल: नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात से उठी अटकलें, पुराना वीडियो बना चर्चा का केंद्र.

बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। 4 सितंबर 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है।

बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। 4 सितंबर 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर तेजी से यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं, जिससे भाजपा और नीतीश कुमार की दोस्ती में दरार आने की संभावना जताई जा रही है।

तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच यह मुलाकात अचानक और अप्रत्याशित थी, जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। इस मुलाकात के बाद राजद समर्थक सोशल मीडिया पर दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार महागठबंधन में लौट सकते हैं, और इस तरह से बिहार की सियासत में नया मोड़ आ सकता है। हालांकि, इस मुलाकात का वास्तविक कारण क्या था, इसे लेकर तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि यह मुलाकात महज एक सामाजिक बातचीत थी और इसमें कोई बड़ा राजनीतिक इशारा नहीं था।

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हालांकि, इस मुलाकात के बाद भी राजनीतिक अटकलें कम नहीं हुई हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें नीतीश कुमार और लालू यादव की मुलाकात को हाल की बताया जा रहा है। इस वीडियो को कई लोगों ने शेयर किया और इसे बिहार की सियासी स्थिति पर बड़ा असर डालने वाला बताया। लेकिन जांच में पता चला कि यह वीडियो दो साल पुराना है। यह वीडियो 5 सितंबर 2022 का है, जब नीतीश कुमार लालू यादव से मिलने राबड़ी आवास पर गए थे, और तब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। इसलिए, इस वीडियो की ताजगी के दावे पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही बिहार की सियासत में कई बदलाव हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। वर्तमान में बिहार में भाजपा और जेडीयू की डबल इंजन की सरकार है, जो अपने विकास कार्यों के लिए जानी जाती है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने हाल ही में कहा कि भाजपा की विचारधारा पर लोगों का भरोसा पूरी तरह से है। उन्होंने यह भी कहा कि 2005 के बाद बिहार में जो विकास हुआ है, वह नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में संभव हुआ है। उनके अनुसार, भाजपा ने जो भी वादे किए हैं, उन्हें पूरा भी किया है।

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वहीं, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने राजद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लालू प्रसाद का कुशवाहा समाज के प्रति प्रेम ढकोसला है। उन्होंने दावा किया कि राजद के लुभावने भाषणों से जनता को भ्रमित किया जाता है, और कुशवाहा समाज को परिवारवादी राजनीति से बाहर रखना चाहिए। इस तरह से, बिहार की राजनीति में चल रही हलचल और सोशल मीडिया पर फैली अटकलों के बावजूद, फिलहाल कोई ठोस प्रमाण या आधिकारिक बयान नहीं आया है जो यह साबित कर सके कि नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव होने वाला है। वर्तमान में, यह कह पाना मुश्किल है कि भविष्य में बिहार की सियासत में क्या मोड़ आएगा, लेकिन फिलहाल की स्थिति में ऐसा कोई संकेत नहीं है कि नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन में शामिल होंगे।

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