कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस, कोर्ट में CBI की लापरवाही पर फटकार, DNA साक्ष्यों से आरोपी की पुष्टि.
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना को लेकर जांच अब भी जारी है।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना को लेकर जांच अब भी जारी है। सियालदह कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की लापरवाही पर सवाल उठाए गए, जब जांच अधिकारी और वकील कोर्ट में समय पर उपस्थित नहीं हुए। इस मामले में आरोपी संजय रॉय की जमानत पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सीबीआई की टीम करीब 40 मिनट देर से पहुंची, जिसके कारण कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि अगर जांच एजेंसी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले सकती, तो क्या हम आरोपी को जमानत दे दें? सुनवाई के दौरान जज ने सीबीआई के वकील और जांच अधिकारी से नाराजगी व्यक्त की और कहा कि ऐसा रवैया किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एजेंसी को अपने काम में तेजी और सटीकता दिखानी चाहिए। देरी के कारण, कोर्ट की यह टिप्पणी सीबीआई की ओर से केस को गंभीरता से न लिए जाने के संकेत के रूप में देखी जा रही है।
मृतिका के शरीर से जुटाए गए साक्ष्यों से मिले DNA सैंपल को जांच के लिए एम्स भेजा गया था। एम्स के डॉक्टरों के पैनल ने इसे बारीकी से अध्ययन करने के बाद पुष्टि की है कि सैंपल संजय रॉय के DNA से मेल खा रहा है। इससे पहले, सीबीआई को DNA रिपोर्ट मिल चुकी थी, लेकिन इसे फाइनल ओपिनियन के लिए एम्स भेजा गया था। अब तक की जांच में यही सामने आया है कि इस जघन्य अपराध में संजय रॉय अकेला ही शामिल था और किसी अन्य व्यक्ति की भूमिका नहीं पाई गई है।
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सीबीआई इस मामले में 100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है और जांच को मजबूत करने के लिए 10 लोगों के पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराए गए। यह टेस्ट सीबीआई की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का हिस्सा थे, ताकि चार्जशीट दाखिल करते समय कोई कानूनी कमी न रह जाए। यह मामला 9 अगस्त को उस समय सामने आया जब ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया। अगले ही दिन, यानी 10 अगस्त को संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद कोलकाता पुलिस द्वारा शुरू की गई जांच को 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। सीबीआई ने 14 अगस्त से इस केस की जांच शुरू की थी।
इस घटना के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी सख्त कदम उठाए। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की सदस्यता निलंबित कर दी गई। यह फैसला मामले की गंभीरता और अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर उठे सवालों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। इस हृदयविदारक घटना के बाद, मृतका की मां ने अपनी बेटी के नाम एक भावुक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने अपनी बेटी को याद करते हुए लिखा कि उसकी बेटी का सपना डॉक्टर बनने का था, और वह अपने इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी। शिक्षक दिवस के मौके पर अपनी बेटी की ओर से सभी शिक्षकों को नमन करते हुए, मृतिका की मां ने इस पत्र के जरिए न्याय की मांग की और आम जनता से भी समर्थन की अपील की।
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उन्होंने लिखा, “मेरी यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि आप सबकी लड़ाई भी है। मैं अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए आप सबका समर्थन चाहती हूं। मेरी बेटी ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था, और उसके इस सपने को पूरा करने में आप सभी शिक्षक प्रेरक शक्ति थे।” इस मामले में अब तक सामने आए सबूतों और गवाहों के बयान से साफ हो चुका है कि संजय रॉय ही इस अपराध का मुख्य आरोपी है। हालांकि, सीबीआई की ओर से पेश की जा रही धीमी गति और कोर्ट में देरी से आने की घटनाओं ने जांच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतिका के परिजनों और आम जनता की उम्मीद अब इस बात पर टिकी हुई है कि न्यायिक प्रक्रिया में और कोई देरी न हो और आरोपी को सख्त सजा मिले।