वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। सत्ता और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर तीखी बहस चल रही है, वहीं एक वायरल वीडियो ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। वीडियो में लोगों से वक्फ विधेयक का विरोध करने की अपील की जा रही है और लाउडस्पीकर के माध्यम से विधेयक के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है, वीडियो में लोगों से अपील की जा रही है कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करें। यह भी कहा जा रहा है कि अगर यह विधेयक पास हो गया तो मस्जिदें, मजारें और कब्रिस्तान छिन जाएंगे। लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि संसद की संयुक्त समिति ने इस विधेयक पर राय मांगी है और सभी को ईमेल के माध्यम से अपनी राय भेजनी चाहिए। इसमें यह भी दावा किया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर भी सरकार का कब्जा हो जाएगा अगर यह बिल पारित हो जाता है।
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वायरल वीडियो किसी बाजार या सार्वजनिक स्थान का प्रतीत हो रहा है। इसमें एक व्यक्ति लाउडस्पीकर लेकर घूम रहा है और दूसरा माइक के माध्यम से लोगों से अपील कर रहा है। लगभग एक मिनट के इस वीडियो में बताया गया है कि वक्फ संशोधन विधेयक को फिलहाल संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है। वीडियो में कहा जा रहा है कि सभी नागरिक, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग, समिति को ईमेल के माध्यम से अपनी राय भेजें ताकि इस विधेयक को रोका जा सके। वीडियो में यह भी बताया गया कि 13 अगस्त तक राय भेजने का समय है और अगर विधेयक पारित हो गया तो मस्जिदों, मजारों और कब्रिस्तानों पर खतरा मंडरा सकता है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के भारी विरोध और दबाव के चलते इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया। समिति ने मुस्लिम संगठनों और आम नागरिकों से इस विधेयक पर राय मांगी है। समिति की राय जानने के बाद ही विधेयक पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस वायरल वीडियो पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है, वह दुखद और विचलित करने वाला है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस विधेयक का गहराई से अध्ययन कर चुके हैं और इसे कम से कम 100 बार पढ़ चुके हैं। दुबे ने जोर देकर कहा कि इस विधेयक में कहीं भी मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान, या मदरसों पर सरकार का कब्जा करने का प्रावधान नहीं है।
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दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि यह वीडियो झूठी सूचनाओं पर आधारित है और इसे मुस्लिम समुदाय के बीच भ्रम और डर फैलाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष और मोदी सरकार विरोधी ताकतें इस विधेयक का गलत इस्तेमाल कर एक विशेष वर्ग के मन में नफरत भरने का प्रयास कर रही हैं। दुबे ने इस प्रकार की राजनीति को “वोट बैंक की राजनीति” और “अंधी राजनीति” करार दिया। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का भविष्य अब संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों पर निर्भर करेगा। इस बीच, मुस्लिम संगठनों और आम जनता को अपनी राय प्रस्तुत करने का समय दिया गया है। समिति इस राय के आधार पर विधेयक में सुधार कर सकती है या फिर इसे नए रूप में पेश किया जा सकता है।
विपक्ष का आरोप है कि इस विधेयक से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा और इससे अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को खतरा हो सकता है। वहीं, सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी और जिम्मेदार बनाना है। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर मचे घमासान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। वायरल वीडियो और इससे जुड़ी चर्चाओं ने इस मुद्दे को और भड़का दिया है। हालांकि, अब देखना यह होगा कि संयुक्त समिति इस पर क्या निर्णय लेती है और विधेयक का अंतिम रूप क्या होगा।