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गडकरी ने ऑटोमोबाइल कंपनियों से स्क्रैपिंग सेंटर स्थापित करने की अपील की, बोले- इससे नए वाहनों की बिक्री में होगा इज़ाफ़ा

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को वाहन स्क्रैपिंग की सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता पर जोर देते हुए ऑटोमोबाइल उद्योग को पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के महत्व के बारे में अवगत कराया।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को वाहन स्क्रैपिंग की सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता पर जोर देते हुए ऑटोमोबाइल उद्योग को पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के महत्व के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पुराने वाहनों को स्क्रैप करने से नए वाहनों की बिक्री में 18-20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। यह बात उन्होंने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के 64वें वार्षिक सम्मेलन में कही, जहां उन्होंने ऑटोमोबाइल निर्माताओं से देशभर में स्क्रैपिंग सेंटर स्थापित करने के लिए निवेश करने का आग्रह किया।

गडकरी ने कहा कि फिलहाल देश में मात्र 63 स्क्रैपिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं, जबकि 60 नए सेंटर निर्माणाधीन हैं और 40 और सेंटर पाइपलाइन में हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत में लगभग 3 करोड़ पुराने वाहन मौजूद हैं, जो सड़क पर चलते हुए प्रदूषण और ईंधन की खपत में वृद्धि कर रहे हैं। ऐसे में, और अधिक स्क्रैपिंग सेंटर की आवश्यकता है ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके। गडकरी ने इस पहल के आर्थिक लाभों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग और उसके बाद के रिसाइक्लिंग से वाहन निर्माताओं को नए वाहनों के घटकों की लागत में 30-40 प्रतिशत की कमी करने में मदद मिलेगी। घटकों की इस कम लागत के परिणामस्वरूप, वाहनों की अंतिम कीमत कम होगी और निर्माता अपने प्रॉफिट मार्जिन में वृद्धि कर पाएंगे।

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गडकरी ने यह भी उदाहरण दिया कि अन्य देशों में यह कदम कैसे सफल रहा है। जर्मनी में स्क्रैपिंग नीति के कारण वाहन बिक्री में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि भारत में इस नीति को लागू करने से उद्योग को 18-20 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है।केंद्रीय मंत्री ने बताया कि स्क्रैपिंग नीति के कारण स्टील के आयात में लगभग 65 लाख टन की कमी आएगी। इस कदम से न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकेगा, बल्कि 35,000 नई नौकरियों का भी सृजन होगा। उन्होंने कहा कि वाहन उद्योग के विकास के साथ-साथ यह कदम पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि परिवहन क्षेत्र भारत के वायु प्रदूषण में 30-40 प्रतिशत तक का योगदान करता है।

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गडकरी ने अपने वक्तव्य में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात करता है, जो एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। उन्होंने कहा कि यह नीति जीवाश्म ईंधन के आयात को भी कम करेगी, जिससे देश के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक स्थिति उत्पन्न होगी। उन्होंने जोर दिया कि नैतिकता, पारिस्थितिकी और पर्यावरण समाज के तीन प्रमुख स्तंभ हैं, और इस दिशा में सुधार की तत्काल आवश्यकता है उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पेट्रोल और डीजल के उपयोग के विरोधी नहीं हैं, लेकिन देश की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए वैकल्पिक और अधिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान देना आवश्यक है। स्क्रैपिंग नीति एक ऐसा कदम है जो ऑटोमोबाइल उद्योग को आर्थिक लाभ पहुंचाने के साथ-साथ पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में मदद करेगा।

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