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मंगेश यादव एनकाउंटर केस, विपक्ष का हमला, भाजपा सरकार पर उठे सवाल.

मंगेश यादव एनकाउंटर ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। जहां सरकार इसे कानून-व्यवस्था की मजबूती के तौर पर देख रही है, वहीं विपक्ष इसे फर्जी एनकाउंटर करार दे रहा है। अब देखना यह है कि मजिस्ट्रियल जांच के बाद इस मामले में कौन से नए तथ्य सामने आते हैं और क्या इससे इस एनकाउंटर से जुड़े विवाद पर विराम लग सकेगा।

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में हुए एक लाख के इनामी डकैत मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए एनकाउंटर की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। एनकाउंटर को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए।

“एनकाउंटर का पैटर्न सेट हो गया है” अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में लिखा, “भाजपा राज में एनकाउंटर का एक पैटर्न सेट हो गया है। पहले किसी को उठाओ, फिर झूठी मुठभेड़ की कहानी बनाओ और फिर दुनिया को झूठी तस्वीरें दिखाओ।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों पर दबाव डालकर उन्हें चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता है। साथ ही, विपक्ष द्वारा इन घटनाओं का भंडाफोड़ होने पर भाजपा अपने छोटे नेताओं को आगे कर मामले को दबाने की कोशिश करती है।

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सपा प्रमुख ने मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अपने समर्थन में काम करने वाले मीडिया के जरिए इन एनकाउंटरों को सही ठहराने का काम करती है। उन्होंने कहा कि सरकार के तथाकथित बड़े नेताओं से गैरकानूनी एनकाउंटर को तर्कहीन बयानबाजी के जरिए सही साबित कराया जाता है। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि जब भी जनता का आक्रोश बढ़ता है, तो सरकार औपचारिक रूप से जांच का आदेश दे देती है, लेकिन जांच के नाम पर कुछ खास नहीं होता। उन्होंने इसे दिखावटी जांच करार देते हुए आरोप लगाया कि ऐसे मामलों को जांच के बहाने धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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बता दें कि 28 अगस्त को सुलतानपुर के ठठेरी बाजार में सर्राफ भरत सोनी के यहां डकैती के मामले में वांछित डकैत मंगेश यादव उर्फ कुंभे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। यादव पर एक लाख का इनाम घोषित था, और उसे सुलतानपुर के मिश्रपुर पुरैना के पास एसटीएफ की टीम ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। इस डकैती में अन्य 14 आरोपित भी वांछित थे, जिनमें से तीन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। गिरोह का सरगना विपिन सिंह पहले ही रायबरेली न्यायालय में सरेंडर कर चुका है, जबकि बाकी आरोपितों की तलाश में पुलिस द्वारा सात टीमें गठित की गई हैं।

इस मुठभेड़ के बाद जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्स्ना ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए हैं। जांच की जिम्मेदारी लंभुआ की एसडीएम विदुषी सिंह को सौंपी गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी या संदेह को दूर किया जा सके।

 

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