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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, सीट बंटवारे पर महाविकास अघाड़ी में तनातनी, कांग्रेस नाखुश.

महाराष्ट्र में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, जिसके लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। राज्य की राजनीति में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद ने चुनावी सरगर्मियों को और बढ़ा दिया है।

महाराष्ट्र में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, जिसके लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। राज्य की राजनीति में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद ने चुनावी सरगर्मियों को और बढ़ा दिया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) ने मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की है, जिससे गठबंधन के अन्य दलों के साथ असहमति उभरकर सामने आई है। शिवसेना (यूबीटी) की मांग के अनुसार, वह मुंबई की 21 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी मुंबई की कई प्रमुख सीटों को अपनी पकड़ में रखना चाहती है, ताकि आगामी चुनाव में मजबूत प्रदर्शन कर सके। शिवसेना की यह मांग महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे के समीकरणों को प्रभावित कर रही है।

उद्धव ठाकरे की शिवसेना के अलावा, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रSवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी मुंबई की सात सीटों पर दावा कर रही है। एनसीपी ने अंधेरी वेस्ट, वर्सोवा, कुर्ला, अणुशक्ति नगर, दहिसर, घाटकोपर ईस्ट और घाटकोपर वेस्ट जैसी सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने की मांग की है हालांकि, इस सीट बंटवारे की प्रक्रिया में कांग्रेस खुद को कमजोर स्थिति में पा रही है, क्योंकि शिवसेना और एनसीपी के दावों के बाद उसके पास सिर्फ आठ सीटें बचेंगी। कांग्रेस इस असंतुलित स्थिति से नाखुश है और गठबंधन में अपने हितों की अनदेखी से असंतोष जता रही है।

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महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही इस तनातनी के बावजूद, गठबंधन के नेता चुनाव से पहले इसे हल करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने इस बारे में बयान देते हुए कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में एमवीए 180 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। थोराट ने यह भी कहा कि राज्य की 288 सीटों में से 125 सीटों पर एमवीए घटक दलों के बीच सहमति बन गई है, जबकि बाकी सीटों को लेकर बातचीत जारी है।

2024 के लोकसभा चुनावों में भी महाविकास अघाड़ी का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से एमवीए के घटक दलों ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस जीत ने एमवीए के नेतृत्व में एकजुटता का संकेत दिया था। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के महायुति गठबंधन को सिर्फ 17 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इसके अलावा, एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत हासिल की थी, जिसने बाद में कांग्रेस को समर्थन दिया था।

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विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही महाविकास अघाड़ी को एकजुट रहने और सीट बंटवारे के मुद्दों को सुलझाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी और कांग्रेस के बीच तालमेल बनाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन सीटों पर आपसी सहमति के अभाव में मतभेद भी स्पष्ट हो रहे हैं। एमवीए का लक्ष्य सत्ता में वापसी करना है, लेकिन सीट बंटवारे के इस मुद्दे को सुलझाना उनके लिए महत्वपूर्ण है, ताकि विपक्षी महायुति के खिलाफ मजबूत मोर्चा तैयार किया जा सके। वर्तमान में, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी का दावा मजबूत दिखाई दे रहा है, लेकिन कांग्रेस अपने लिए अधिक हिस्सेदारी की मांग पर जोर दे रही है।

 

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