महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी दल लगातार केंद्र और राज्य सरकारों पर हमला कर रहे हैं। हाल ही में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर घेरते हुए कई सवाल खड़े किए हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने ‘सामना’ में प्रकाशित लेख के माध्यम से कहा कि मोदी सरकार वैश्विक मंच पर रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की कोशिशें कर रही है, लेकिन मणिपुर में फैली हिंसा पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लेख में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है और देश के अंदरूनी हालातों की अनदेखी की जा रही है।
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लेख में यह भी कहा गया कि मणिपुर हिंसा पिछले 18 महीने से जारी है, लेकिन सरकार ने इस पर कोई कारगर योजना नहीं बनाई। शिवसेना (यूबीटी) ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार के मुंह में मानो “दही जम गया है” क्योंकि अब तक इस गंभीर स्थिति पर सरकार की ओर से किसी प्रभावी कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है।
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‘सामना’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बावजूद, राज्य सरकार और केंद्र के बीच समन्वय की कमी देखी जा रही है। लेख में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य पर भी सवाल उठाए गए। रिपोर्ट के अनुसार, राज्यपाल इस हिंसा के दौरान मणिपुर छोड़कर असम में जाकर शरण ले चुके हैं। ऐसे में केंद्र सरकार मणिपुर को अस्थिर प्रशासन के हवाले कर चुकी है। शिवसेना (यूबीटी) ने इस लेख में मांग की कि मणिपुर की स्थिति को गंभीरता से लिया जाए और देश के भीतर फैली हिंसा को रोकने के लिए केंद्र को ठोस कदम उठाने चाहिए।