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आतिशी होंगी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री, AAP विधायकों ने केजरीवाल के प्रस्ताव पर दी सर्वसम्मति से मंजूरी.

आतिशी का मुख्यमंत्री पद संभालना दिल्ली के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। आम आदमी पार्टी की सरकार के तहत उन्होंने पहले ही शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक में आतिशी को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई है। अरविंद केजरीवाल ने खुद आतिशी का नाम नए मुख्यमंत्री पद के लिए रखा, जिसे पार्टी के सभी विधायकों ने तुरंत समर्थन दे दिया। यह निर्णय उस समय आया जब केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया, जो पहले से ही कई अटकलों का विषय था।

बसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता है। वह वर्तमान में दिल्ली सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाल रही हैं। उनके काम करने का तरीका और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता के कारण उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ऊपर रहा। उनके नाम पर आम आदमी पार्टी के भीतर न सिर्फ सहमति थी, बल्कि पार्टी के नेता भी उनकी योग्यता पर भरोसा करते हैं।

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यह बैठक 26 सितंबर को सुबह 11 बजे शुरू हुई, जिसमें सभी विधायकों की मौजूदगी थी। जैसे ही अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, बैठक में मौजूद सभी विधायकों ने इसका समर्थन किया। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। इस बैठक में तय हुआ कि दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र 26-27 सितंबर को बुलाया जाएगा, जिसमें आतिशी का शपथ ग्रहण भी संभावित है।

अरविंद केजरीवाल शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगभग 5 महीने तक तिहाड़ जेल में बंद थे। हालांकि अब वह जमानत पर बाहर हैं, लेकिन अदालत ने उनके ऊपर कई पाबंदियां लगा दी हैं। जेल में रहते हुए भाजपा ने केजरीवाल पर नैतिक आधार पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया था। भाजपा का कहना था कि जेल में रहते हुए केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद पर बने रहना सही नहीं है। जब केजरीवाल जमानत पर बाहर आए, तो उन्होंने पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की।

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आतिशी के लिए यह पद एक बड़ी जिम्मेदारी है। दिल्ली जैसे बड़े और विविध शहर की मुख्यमंत्री के रूप में उनकी भूमिका में चुनौतियाँ होंगी। सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाना और सरकार की नीतियों को सफलतापूर्वक लागू करना होगा। इसके अलावा, विपक्षी दलों, विशेष रूप से भाजपा द्वारा उठाए गए सवालों और आरोपों का सामना करना भी उनकी जिम्मेदारियों में शामिल होगा।

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