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सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर कार्रवाई पर निर्देश, अवैध निर्माण पर कार्रवाई जारी रहेगी, मनमानी पर रोक.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे देश में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक, बिना उसकी अनुमति के किसी भी प्रकार की मनमानी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे देश में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक, बिना उसकी अनुमति के किसी भी प्रकार की मनमानी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने साफ किया कि यह रोक सभी राज्यों पर लागू होगी और इसका पालन अनिवार्य रूप से करना होगा। हालांकि, अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई पर यह रोक लागू नहीं होगी, खासकर जो सड़क, फुटपाथ और रेलवे लाइनों पर अवैध तरीके से किए गए हैं। बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट 1 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा। यह मामला तब उठा जब विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अपराधियों और अन्य कानून उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ बुलडोजर का उपयोग तेज़ी से बढ़ा। याचिकाकर्ताओं ने इसे कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी। याचिका के अनुसार, कई स्थानों पर बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, जिससे आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने बुलडोजर कार्रवाई के महिमा मंडन पर भी गंभीर सवाल उठाए। न्यायाधीशों ने कहा कि कानून को नियम और प्रक्रिया के अनुसार चलना चाहिए, न कि उसे महिमामंडित किया जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बुलडोजर का “मनमाना” उपयोग बंद होना चाहिए, क्योंकि इससे शासन के प्रति जनता में गलत संदेश जा सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी, विशेष रूप से सड़क, फुटपाथ और रेलवे लाइनों पर हो रहे निर्माणों पर यह रोक लागू नहीं होगी। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अदालत अनधिकृत निर्माण के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी, परंतु जहां बुलडोजर का उपयोग मनमाने ढंग से किया जा रहा है, वहां तुरंत कार्रवाई की जरूरत है।

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जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकारों को भी फटकार लगाते हुए पूछा कि 2022 में जब नोटिस जारी किया गया था, तो 2024 में इतनी जल्दीबाजी क्यों की जा रही है? कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित किया जाए और आगे की कार्रवाई कोर्ट की अनुमति से ही की जाए। कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के “महिमा मंडन” को लेकर भी सवाल उठाया। न्यायाधीशों ने कहा कि बुलडोजर का उपयोग सिर्फ अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में किया जाना चाहिए, न कि इसे किसी प्रकार की शक्ति का प्रतीक बनाकर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अदालत ने सख्ती से कहा कि यह प्रवृत्ति तुरंत बंद होनी चाहिए और कार्रवाई का तरीका कानून के दायरे में रहकर होना चाहिए।

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वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि हर दिन बुलडोजर की कार्रवाई हो रही है और यह बिना किसी पूर्व नोटिस या कानूनी प्रक्रिया का पालन किए हो रहा है। उन्होंने अदालत से इस पर कड़ी निगरानी रखने का अनुरोध किया। इसके जवाब में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि 2022 में संबंधित पक्षों को नोटिस दिया गया था और उसके बाद ही कार्रवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करेगा। कोर्ट ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का पालन सभी राज्यों को करना होगा और मनमाने ढंग से बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका कार्यपालिका के काम में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन कानून के उल्लंघन के मामलों में अदालत को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा।

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