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स्वाति मालीवाल का बागी अंदाज़, पार्टी क्यों नहीं कर पा रही है सख्त कार्रवाई?

दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की संभावित अनुपस्थिति के बाद आतिशी को दिल्ली की बागडोर सौंपने की घोषणा के साथ ही पार्टी के भीतर विवाद भी शुरू हो गया है।

दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की संभावित अनुपस्थिति के बाद आतिशी को दिल्ली की बागडोर सौंपने की घोषणा के साथ ही पार्टी के भीतर विवाद भी शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने आतिशी को “डमी सीएम” करार दिया है, जिसे लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया है। स्वाति ने इस निर्णय को दिल्ली के लिए “दुर्भाग्यपूर्ण दिन” कहा है।

मालीवाल के इस बयान के बाद, आप पार्टी ने उनसे राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की मांग की है। यह पहला मौका नहीं है जब स्वाति मालीवाल ने पार्टी के नेताओं पर सार्वजनिक रूप से तीखे हमले किए हैं। इससे पहले भी वो आप नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी करती रही हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें अब तक बाहर का रास्ता नहीं दिखाया। सवाल उठता है कि आखिरकार क्यों पार्टी लगातार पार्टी विरोधी बयानों के बाद भी उन्हें बर्खास्त नहीं कर रही है, और अगर उन्हें पार्टी से बाहर किया जाता है तो इसका पार्टी पर क्या असर पड़ेगा?

स्वाति मालीवाल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आप पार्टी के पास तीन प्रमुख विकल्प हैं:

1.  अगर पार्टी स्वाति मालीवाल को निलंबित करती है, तो उन्हें पार्टी के निर्देशों का पालन करना होगा, लेकिन उनकी राज्यसभा सदस्यता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वो राज्यसभा में अपनी भूमिका जारी रख सकेंगी।

2.  यदि पार्टी उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर देती है, तो इस स्थिति में स्वाति पार्टी से तो बाहर हो जाएंगी, लेकिन उनकी राज्यसभा सदस्यता बरकरार रहेगी। इसका नुकसान आप पार्टी को ही होगा क्योंकि संसद में उसका एक सांसद कम हो जाएगा। इसके अलावा, स्वाति मालीवाल पर पार्टी के निर्देशों का पालन करने का कोई दबाव नहीं रहेगा।

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3.  पार्टी के लिए सबसे सही विकल्प यही होगा कि स्वाति मालीवाल खुद राज्यसभा से इस्तीफा दे दें। इसके अलावा, एक और तरीका यह हो सकता है कि यदि वो सदन में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर किसी प्रस्ताव पर वोट करती हैं या वोटिंग से अनुपस्थित रहती हैं, तो पार्टी उनके खिलाफ संविधान के तहत कार्रवाई कर सकती है। इस स्थिति में पार्टी उनकी सदस्यता रद्द करवाने का प्रयास कर सकती है। पार्टी को 15 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज करनी होती है, जिसके बाद उनके खिलाफ उचित प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

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अब सवाल यह है कि आप पार्टी स्वाति मालीवाल के खिलाफ कौन सा कदम उठाएगी। निलंबन से उनकी सदस्यता सुरक्षित रहेगी और बर्खास्तगी से पार्टी को संसद में नुकसान उठाना पड़ेगा। इसलिए पार्टी चाहती है कि या तो स्वाति खुद इस्तीफा दे दें या फिर किसी ऐसे मुद्दे पर पार्टी लाइन के खिलाफ वोट करें, जिससे पार्टी उनकी सदस्यता रद्द करवाने की स्थिति में आ सके। इस विवाद के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्वाति मालीवाल और आप के बीच यह रस्साकशी किस ओर जाती है, और इसका दिल्ली की राजनीति पर क्या असर होता है।

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