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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी, कैबिनेट में जातीय संतुलन की कवायद

आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए AAP ने अपने रणनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में आतिशी की कैबिनेट को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं।

आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए AAP ने अपने रणनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में आतिशी की कैबिनेट को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल इस बार मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। सूत्रों के अनुसार, आतिशी की कैबिनेट में वर्तमान कैबिनेट के कुछ प्रमुख चेहरे जैसे गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल रहेंगे। इन सभी नेताओं का दिल्ली की राजनीति में गहरा प्रभाव है और ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं। इन चारों नेताओं ने पहले भी केजरीवाल कैबिनेट में प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।

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इस बार चर्चा का एक प्रमुख विषय यह है कि आतिशी की कैबिनेट में एक दलित नेता को भी शामिल किया जा रहा है। नए चेहरों में सबसे प्रमुख नाम मुकेश अहलावत का सामने आया है। अहलावत सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं और दिल्ली में दलित समाज के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। वह 2020 में पहली बार विधायक बने थे, जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार राम चंदर चावड़िया को 74,573 वोटों से हराया था। जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 26,521 और कांग्रेस उम्मीदवार जय किशन को 9,033 वोट मिले थे।

मुकेश अहलावत पार्टी के साथ-साथ अपने समाज में भी एक मजबूत पकड़ रखते हैं, जो उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है। पिछले कुछ समय से पार्टी में उन्हें एक महत्वपूर्ण भूमिका देने की अटकलें थीं, और अब वह आतिशी कैबिनेट में मंत्री के रूप में शामिल हो सकते हैं। दिल्ली की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से ही अहम भूमिका निभाते आए हैं। निवर्तमान अरविंद केजरीवाल सरकार में कोई दलित मंत्री शामिल नहीं था, जो विपक्ष के लिए आलोचना का एक प्रमुख कारण बना। पहले राजेंद्र पाल गौतम, जो दलित समाज के एक प्रमुख नेता थे, केजरीवाल कैबिनेट में मंत्री थे, लेकिन एक विवाद के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके बाद राज कुमार आनंद को मंत्री पद दिया गया था, लेकिन उन्होंने भी कुछ समय पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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अब जब आतिशी मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, तो यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कैबिनेट में दलित समुदाय को भी प्रतिनिधित्व मिले। पहले कुलदीप कुमार का नाम मंत्री पद के लिए सामने आया था, लेकिन अब मुकेश अहलावत इस दौड़ में उनसे आगे निकल गए हैं। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव भी महत्वपूर्ण हैं। इस संदर्भ में AAP की रणनीति यही है कि जातीय संतुलन और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संतुलन बना रहे। मुकेश अहलावत का नाम पहले नॉर्थ वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में भी चर्चा में रहा था। हालांकि, गठबंधन के चलते यह सीट कांग्रेस के हिस्से में चली गई थी।

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