कर्नाटक हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, “ऐसा लगता है जैसे ये इलाका भारत में नहीं, पाकिस्तान में हो
कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वी. श्रीशानंद ने बेंगलुरु के गोरी पाल्या क्षेत्र की कानून-व्यवस्था को लेकर कड़ी टिप्पणी की है, जिसने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। न्यायाधीश ने क्षेत्र में कानून के पालन न होने और आम लोगों के बीच नियमों की अवहेलना पर सवाल उठाए हैं।
कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वी. श्रीशानंद ने बेंगलुरु के गोरी पाल्या क्षेत्र की कानून-व्यवस्था को लेकर कड़ी टिप्पणी की है, जिसने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। न्यायाधीश ने क्षेत्र में कानून के पालन न होने और आम लोगों के बीच नियमों की अवहेलना पर सवाल उठाए हैं। ये टिप्पणी 28 अगस्त को एक मामले की सुनवाई के दौरान की गई, जो किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित थी। न्यायमूर्ति श्रीशानंद ने कहा कि गोरी पाल्या में स्थिति इतनी बुरी है कि ऐसा महसूस होता है जैसे यह इलाका भारत का हिस्सा नहीं, बल्कि पाकिस्तान का हो। इस टिप्पणी ने लोगों का ध्यान गोरी पाल्या की कानून-व्यवस्था पर केंद्रित किया है। इस क्षेत्र में यातायात नियमों का उल्लंघन, सुरक्षा की कमी, और सड़कों पर अनियंत्रित वाहन चलाने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। न्यायमूर्ति की टिप्पणी गोरी पाल्या के व्यापक सुरक्षा मुद्दों और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने यातायात नियमों के पालन की कमी पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने विदेशों की तुलना करते हुए कहा कि वहां पर अगर कोई 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से भी चल रहा हो, तो पुलिस आकर उसे धीमी लेन में शिफ्ट कर देती है। लेकिन भारत में, खासकर बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में, लोग अपनी मनमर्जी से चलते हैं और कानून का कोई डर नहीं रहता। न्यायमूर्ति ने कहा, “लोग अपनी स्पीड से गाड़ी चलाते हैं, नियम तोड़ते हैं और 304A (लापरवाही से मौत) के तहत कार्रवाई से भी बच निकलते हैं।”
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न्यायमूर्ति ने बेंगलुरु के निजी स्कूलों में भी लापरवाही का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आजकल स्कूलों के बाहर अक्सर नाबालिग बच्चे स्कूटर चलाते नजर आते हैं। प्रिंसिपल और अभिभावक इस स्थिति को गंभीरता से नहीं लेते और किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती। यह लापरवाही न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरनाक है, बल्कि यातायात नियमों के उल्लंघन को भी बढ़ावा देती है। गोरी पाल्या क्षेत्र में अव्यवस्थित ऑटो रिक्शा संचालन भी एक बड़ी समस्या है। न्यायमूर्ति ने कहा, “हर दो मिनट में आपको एक ऑटो रिक्शा नियमों का उल्लंघन करते हुए लोगों को उतारता हुआ दिखेगा। यही समस्या है कि कोई नियम लागू नहीं होते।” यह टिप्पणी दिखाती है कि क्षेत्र में ऑटो रिक्शा चालकों द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन आम हो गया है और स्थानीय प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा।
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न्यायमूर्ति श्रीशानंद की यह टिप्पणी राज्य के प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था को लेकर गंभीर समस्याएं हैं और इन्हें सुधारने की आवश्यकता है। इस टिप्पणी ने न केवल गोरी पाल्या क्षेत्र की समस्याओं को उजागर किया है, बल्कि बेंगलुरु के अन्य हिस्सों में भी कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट की इस कड़ी टिप्पणी से यह उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार और प्रशासन इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेंगे और जल्द ही समाधान के लिए ठोस कदम उठाएंगे।