मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने वकील को फटकारा, कोर्ट रूम में ‘Yeah’ कहने पर जताई नाराज़गी
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने आज एक सुनवाई के दौरान एक वकील को अनुचित शब्दों के चयन पर कड़ी फटकार लगाई। मामला तब सामने आया जब एक वकील ने अपनी दलील के बाद अनौपचारिक रूप से 'Yeah' (हां) का उपयोग किया।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने आज एक सुनवाई के दौरान एक वकील को अनुचित शब्दों के चयन पर कड़ी फटकार लगाई। मामला तब सामने आया जब एक वकील ने अपनी दलील के बाद अनौपचारिक रूप से ‘Yeah’ (हां) का उपयोग किया। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें इस तरह के शब्दों से “एलर्जी” है। उन्होंने वकील को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यह कोर्ट रूम है, कोई कैफे नहीं जहां आप ऐसे अनौपचारिक शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मामला उस समय गंभीर हो गया जब वकील ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा, “हां, तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने मुझे क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए कहा था।” वकील के ‘Yeah’ कहने पर सीजेआई ने बीच में ही उसकी बात को काटते हुए कहा, “आप कोर्ट में हैं, कॉफी शॉप में नहीं। कृपया ‘Yeah’ शब्द का उपयोग न करें।” यह टिप्पणी सीजेआई के उस व्यवहार को दर्शाती है जिसमें वे अदालत में अनुशासन और औपचारिकता पर जोर देते हैं।
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वकील जिस मामले की दलील दे रहे थे, वह भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से संबंधित था। वकील ने आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति गोगोई ने एक अवैध बयान के आधार पर उनकी सेवा समाप्ति से जुड़ी याचिका को गलत तरीके से खारिज कर दिया था। वकील का दावा था कि इस फैसले में “कानून की गंभीर त्रुटियां” थीं, जिसके चलते वह न्याय के लिए अपनी याचिका दोबारा पेश कर रहे थे। इस याचिका में वकील ने न्यायमूर्ति गोगोई को प्रतिवादी के रूप में जोड़ा था और अदालत से राहत की मांग की थी। इसके साथ ही, उन्होंने न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ एक आंतरिक जांच की भी मांग की थी, जिसका विरोध मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने किया।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा, “चाहे सही हो या गलत, सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम फैसला आ चुका है। आपकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई है, और अब आपको क्यूरेटिव दाखिल करना होगा।” सीजेआई ने वकील से यह भी कहा कि वह अब कोई नया रास्ता नहीं तलाश सकते क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। वकील की ओर से यह बयान भी दिया गया कि वह क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं करना चाहते, जिसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने दोहराया कि अब यही कानूनी रास्ता बचा है।
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इस पूरी घटना ने एक बार फिर अदालत में शिष्टाचार और औपचारिक भाषा की महत्ता को उजागर किया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की सख्त प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि अदालत में किसी भी तरह की अनौपचारिकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालत के अनुशासन और शिष्टाचार के नियमों का पालन करना सभी वकीलों के लिए अनिवार्य है, और कोर्टरूम में भाषाई औपचारिकता की कमी को गंभीरता से लिया जाएगा।