सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने वकील को लगाई फटकार, कोर्ट के कार्यों में हस्तक्षेप पर सख्त चेतावनी.
3 अक्टूबर को भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने एक वकील को सख्त फटकार लगाई। मामला तब सामने आया जब वकील ने कोर्ट के आदेशों की सत्यता की जांच करने के लिए कोर्ट मास्टर से संपर्क किया।
3 अक्टूबर को भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने एक वकील को सख्त फटकार लगाई। मामला तब सामने आया जब वकील ने कोर्ट के आदेशों की सत्यता की जांच करने के लिए कोर्ट मास्टर से संपर्क किया। इस पर सीजेआई ने नाराजगी जाहिर करते हुए वकील के आचरण पर सवाल उठाया और इसे न्यायालय के कार्यों में अनुचित हस्तक्षेप बताया।
वकील ने बेंच से कहा कि उसने कोर्ट में लिखे गए आदेश के विवरण को कोर्ट मास्टर से क्रॉस-चेक किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीजेआई ने कहा, “आपने यह पूछने की हिम्मत कैसे की कि मैंने कोर्ट में क्या लिखा? आप कोर्ट मास्टर से पूछने का साहस कैसे कर सकते हैं?” उन्होंने इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि ऐसी हरकतें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। सीजेआई ने आगे कहा, “कल आप मेरे घर आ जाएंगे और मेरे निजी सचिव से पूछेंगे कि मैं क्या कर रहा हूं। क्या वकीलों ने अपना विवेक खो दिया है?” उन्होंने वकील को सावधान करते हुए कहा कि भले ही वह कुछ दिनों बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे, लेकिन तब तक वह कोर्ट के प्रभारी हैं और इस प्रकार की अनुचित कार्यवाहियों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
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सीजेआई ने वकीलों को सख्त चेतावनी दी कि इस प्रकार की चालें और तरकीबें फिर से अदालत में न आजमाई जाएं। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उनकी जगह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को अगला सीजेआई नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले भी मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक प्रक्रियाओं में अनुशासन और सम्मान को बनाए रखने पर जोर दिया। यह घटना इस बात का संकेत देती है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में भी अदालत की गरिमा और उसके नियमों की सख्त सुरक्षा सुनिश्चित की है।
यह पहली बार नहीं है जब मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों के आचरण पर सवाल उठाया हो। कुछ समय पहले भी सीजेआई ने वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा था कि वे एक ही मामले को बार-बार बेंच के सामने लाकर तारीख मांगने का प्रयास करते हैं। सीजेआई ने इसे “अदालत को बरगलाने” का प्रयास बताया था और कहा था कि वकील इस प्रकार की चालबाजियों से कोर्ट को धोखा नहीं दे सकते। उन्होंने इस नए चलन पर नाराजगी जाहिर की थी, जिसमें वकील अलग-अलग समय पर एक ही मामले को प्रस्तुत करते हैं और बेंच के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हैं। यह एक नई प्रवृत्ति है, जिसे अदालत बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, “अलग-अलग वकील एक ही मामले को सूचीबद्ध करने के लिए पेश होते हैं और जज की जरा सी असावधानी में तारीख प्राप्त कर लेते हैं। यह एक उभरती हुई प्रथा है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए।”
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इस पूरी घटना ने न्यायिक व्यवस्था में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा न्यायिक प्रक्रियाओं की पवित्रता को बनाए रखने पर जोर दिया है और यह घटना उसी दिशा में एक और कदम थी।