Delhi High Court ने INDIA का उपयोग तत्काल रोकने से इनकार कर दिया, केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस भेजा
दिल्ली हाईकोर्ट ने विपक्षी दलों के गठबंधन को इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के उपनाम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार निर्वाचन आयोग सहित अन्य संस्थाओं से प्रतिक्रिया मांगी है। 31 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने विपक्षी दलों को इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) नाम के इस्तेमाल को लेकर राहत दी है। हाईकोर्ट ने India जैसे उपनाम का उपयोग करने पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और अन्य निकायों को नोटिस भेजा है, जिसमें उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई है।मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि दूसरे पक्ष को सुनने बिना आदेश नहीं दे सकते। 31 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी।
बता दें कि कार्यकर्ता गिरीश भारद्वाज ने जनहित याचिका (पीआईएल) हाईकोर्ट में दाखिल की है। इस याचिका में विपक्षी पक्षों को गठबंधन का संक्षिप्त नाम INDIIA का उपयोग करने से रोकने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को शिकायत दी थी। उसने आयोग से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर न्यायालय का रुख किया।
याचिका में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषणों का हवाला दिया गया है। उनका कहना था कि इन नेताओं ने अपने गठबंधन का नाम भारत रखा है। याचिका में यह भी कहा गया कि राहुल गांधी के बयान ने जनता को भ्रम में डाल दिया है। बयान में कहा गया था कि एनडीए और भारत के बीच आगामी चुनाव होगा।
याचिका में ये भी कहा गया कि विपक्षी पार्टियों ने अगले लोकसभा चुनाव में अनुचित लाभ उठाने के लिए गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रखा है। ऐसा करने से प्रेरणा मिल सकती है। राजनीतिक दल आपस में घृणा कर सकते हैं। इससे राजनीतिक हिंसा भी हो सकती है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि भारत देश का राष्ट्रीय प्रतीक है। इसका उपयोग राजनीतिक, व्यावसायिक या व्यावसायिक उद्देश्यों से नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दलों का स्वार्थी व्यवहार आगामी लोकसभा चुनावों में पारदर्शी, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इससे हिंसा भड़क सकती है और देश की कानून व्यवस्था पर भी असर हो सकता है।
Brajesh Kumar