मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के ओम्कारेश्वर में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊँची प्रतिमा का अनावरण किया गया. इसके साथ ही अद्वैत लोक की आधारशिला रखी गई. मांधाता पर्वत पर सुबह 10:30 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. कार्यक्रम दो हिस्सों में बंटा है. केरल की पारंपरिक पद्धति से मुख्यमंत्री व संतों का स्वागत किया गया साथ ही अद्वैत लोक का भूमि और शिला पूजन हुआ. अद्वैत लोक की आधारशिला रखे जाने के बाद सिद्धवरकूट में ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम में पद्मभूषण डॉ. पदमा सुब्रमण्यम द्वारा प्रस्तुति साथ ही कार्यक्रम में संत समागम का भी आयोजन होना है.
प्रस्तावित फिल्म शंकर की घोषणा
न्यास द्वारा प्रकाशित अद्वैत युवा जागरण शिविर, एकात्म धाम, स्वप्न से शिल्प तक पुस्तकों का विमोचन होगा. इसके साथ ही प्रस्तावित फिल्म शंकर की घोषणा भी की जाएगी. कार्यक्रम को संबोधित करेंगे शारदा पीठ श्रृंगेरी, शारदा पीठ द्वारिका और कांची कामकोटि पीठ के जगदगुरू शंकराचार्य. दोपहर 3.50 बजे से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे फिर शाम 5.45 बजे शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन होगा.
मांधाता पर्वत पर साधू-संतो का स्वागत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओंकारेश्वर के मांधाता पर्वत पर साधु संतों का स्वागत किया. स्वागत के बाद वैदिक अनुष्ठान और यज्ञ आहुतियां होंगी. इसके बाद देशभर की शैव परंपरा के नृत्यों की प्रस्तुतियों के साथ ही भारतीय प्रदर्शनकारी शैलियों के कलाकारों द्वारा आचार्य प्रवर्तित पंचायतन पूजा परंपरा का प्रस्तुतीकरण भी होगा. सिद्धवरकूट पर ब्रह्म उत्सव होगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि ओंकारेश्वर की पुण्य भूमि से आचार्य शंकर के प्रभामंडल का ओज पूरे विश्व में फैल रहा है.
‘एकता की प्रतिमा’ आदि शंकराचार्य की विरासत और उनके द्वारा दिए गए व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा के लिए और खासकर ‘ब्रह्मसूत्र’ पर लिखे उनके भाष्य के लिए स्मारकीय श्रधांजलि के रूप में स्थापित किया गया है. यह प्रतिमा आदि शंकराचार्य के बाल रूप में है. इस प्रतिमा की परिकल्पना आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मध्यप्रदेश स्टेट टूरिज्म डीवेलप्मेंट कारपोरेशन के नेत्रित्व में की गई है. वहीँ इसकी रचना का श्रेय जाता है दिक्षु कुकरेजा को जो की सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के मैनेजिंग प्रिंसिपल हैं. उन्होंने कहा की यह प्रोजेक्ट पप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम की दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है. आदि शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा की स्थपाना से मध्यप्रदेश सभी धर्मों के लिए सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक गढ़ बन जाएगा.
मांधाता पर्वत पर 108 फीट ऊँची एकता की प्रतिमा के निर्माण और आदि शंकराचार्य का संग्रहालय की स्थपना में 2,141.85 करोड़ रुपए लगे हैं. इस प्रतिमा को बनाने में एक साल लगे हैं. इस पर 6 हजार लीटर की प्रोटेक्टिव कोटिंग की लेयर चढ़ाया गया है. आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा की रचना उनके बाल रूप में है.
जानिए कौन थे आदि शंकराचार्य
आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता, संकृत विद्वान्, और उपनिषद् व्याख्यता और हिन्दू धर्म प्रचारक थे. शंकराचार्य का जन्म 788ई. में हुआ था और मृत्यु 820ई. में हुई. हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार इनको भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने लगभग पुरे भारत की यात्रा की. उन्होंने अनेकों ग्रन्थ लिखे जिनमे से उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और गीता पर उनका दर्शन विशेष रूप से है. श्रीभाग्वाद गीता और ब्रह्मसूत्र पर अन्य आचार्यों ने भाष्य लिखे हैं पर उपनिषदों पर समन्वयात्मक भाष्य आदि शंकराचार्य जैसा किसी का भी नहीं है.