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ANIMAL फिल्म पर भड़का सांसद रंजीत रंजन का ग़ुस्सा कहा, ऐसी फ़िल्में समाज के लिए है घातक

‘’एनिमल' फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन इसे लेकर जहां एक तरफ़ लोग रनबीर कपूर और बाँबी देओल आदि की प्रशंसा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लोग फ़िल्म में दिखाई गई हिंसा की आलोचना भी कर रहे हैं

फिल्मों की दुनिया हमेशा से हमारे जीवन का हिस्सा रही है। वे हमें मनोरंजन के साथ-साथ जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। लेकिन हाल के कुछ फिल्मों के संदेश और प्रस्तुतीकरण ने समाज में विवाद उत्पन्न किया है। ‘एनिमल’ जैसी फिल्मों में दिखाई गई हिंसा और नकारात्मकता के मुद्दे उठ रहे हैं और सांसद रंजीत रंजन ने इस बारे में समाज की भावनाओं को उजागर किया है।

 

फिल्मों में धार्मिक भावनाओं को भी आहत किया जा रहा है। ‘एनिमल’ जैसी फिल्में धार्मिक इतिहास और भावनाओं को उचाल कर रही हैं। इसमें इतिहास से जुड़े गानों को गैंगवार के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करता है।

 

‘’एनिमल’ फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन इसे लेकर जहां एक तरफ़ लोग रनबीर कपूर और बाँबी देओल आदि की प्रशंसा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लोग फ़िल्म में दिखाई गई हिंसा की आलोचना भी कर रहे हैं और लोगों द्वारा नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया पर लोग बेबाकी से इस फिल्म में दिखाई गई हिंसा के प्रस्तुतीकरण की आलोचना कर रहे थे, अब इस फिल्म के विरोध के सुर संसद में सुनाई दे रहे हैं। गुरुवार को कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन ने ‘सिनेमा का युवाओं पर पड़ता नकारात्मक प्रभाव’ विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘सिनेमा समाज का आईना होता है। हम लोग सिनेमा देखकर बड़े हुए हैं और सिनेमा हम सभी को प्रभावित करता है, खासकर युवाओं की जिंदगी को वह प्रभावित करता है।

 

आजकल की फिल्मों में महिलाओं के प्रति असम्मान को फिल्मों के जरिए सही ठहराया जा रहा है’। रंजीत रंजन ने कहा, ‘आजकल कुछ अलग तरह की फिल्में आ रही हैं। फिल्मों का आदर्श प्रभाव युवाओं पर भी बड़ा होता है। रंजीत रंजन का कहना है कि फिल्मों में दिखाई गई हिंसा और असम्मान अब युवाओं के आदर्श माने जा रहे हैं। ‘कबीर सिंह’ और ‘एनिमल’ जैसी फिल्मों में हीरो को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे उन्हें नकारात्मक आदर्श माना जा रहा है। इससे समाज में नकारात्मकता का संदेश जा रहा है जो अस्वीकार्य है।

रंजीत रंजन ने कहा, ‘आजकल कुछ अलग तरह की फिल्में आ रही हैं। नकारात्मक किरदारों को बच्चे आदर्श मानने लगे कबीर सिंह हो या पुष्पा हो… आजकल एक एनिमल पिक्चर चल रही है। मैं आपको बता नहीं सकती… मेरी बेटी के साथ बहुत सारी बच्चियां थीं, जो कॉलेज में पढ़ती हैं। …आधी पिक्चर में उठकर रोते हुए चली गईं। इतनी हिंसा उसमें है। महिलाओं के प्रति असम्मान को फिल्मों के जरिए सही ठहराया जा रहा है।

 

कबीर सिंह और एनिमल में जिस तरह हीरो अपनी पत्नी के साथ सलूक करता है, लोग, समाज और फिल्में उसे सही ठहराते दिखाई दे रहे हैं। ये बहुत ही सोचने वाला विषय है। बहुत सारे ऐसे उदाहरण हैं कि इन फिल्मों या उसमें दिखाई जा रही हिंसा के जरिए हीरो को गलत और नकारात्मक तरीके से पेश किया जा रहा है। 11वीं और 12वीं के बच्चे इन्हें अपना आदर्श मानने लगे हैं। इस वजह से इस तरह की हिंसा हमेशा समाज में देखने को मिल रही है’। धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं

 

रंजीत रंजन ने आगे कहा, ‘उच्च कोटि का इतिहास रहा है पंजाब का, हरि सिंह नलवा का। इस फिल्म में एक गाना है- अर्जुन वेल्ली ने जोर के गंडासी मारी। … फिल्म का हीरो दो परिवारों के बीच नफरत की लड़ाई में बड़े-बड़े हथियार लेकर सरेआम हिंसा करता है और कोई कानून उसे रोकता या सजा देता नजर नहीं आता।

 

जहां तक अर्जुन वेल्ली गाने का सवाल है, हरि सिंह नलवा कमांडर इन चीफ थे। उन्होंने मुगलों-अंग्रेजों के खिलाफ उनकी बढ़ती हुई सत्ता को रोकने के लिए लड़ाई लड़ी थी। उनका बेटा था अर्जुन सिंह नलवा। उन्होंने कई मुसलमानों को 1947 में बचाने का काम किया था। इस उच्च कोटि के इतिहास से जुड़े गाने को बैकग्राउंड में गैंगवार के साथ दिखा रहे हैं। इससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी जब मुगलों से लड़ाई लड़ रहे थे, तब वे एक लोकगीत के जरिए अपनी फौज में जोश पैदा करते थे’।

 

रंजीत रंजन सांसद ने कहा, ‘सेंसर बोर्ड ऐसी फिल्मों को कैसे बढ़ावा दे सकता है? किस तरह से ऐसी फिल्में पास होकर आ रही हैं, जो हमारे समाज के बीमारी हैं। ऐसी फिल्मों का स्थान हमारे समाज में नहीं होना चाहिए’। रंजन ने इसके बारे में चिंता जताई है कि ऐसी फिल्में हमारे समाज में नहीं होनी चाहिए, और उन्हें बढ़ावा देने से इस समस्या का हल नहीं होगा।

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