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“सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्रीय फैसला बरकरार’’

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। वह भारत के तहत हो गया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।

कश्मीर के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला देश में काफी चर्चा में है। यह निर्णय समझौते की दिशा में भारी कदम बताता है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला पढ़ना शुरू किया। इस पीठ में सीजेआई के अलावा, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल थे।

गौरतलब है कि सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ फैसला सुनाने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पांच जजों के तीन अलग-अलग फैसले हैं। जिन तीन फैसलों को सुनाया जाना है, उस पर सभी एकमत हैं।

 

जम्मूचीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए। अनुच्छेद 356 – राज्य सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है। संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकता है।

 

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। वह भारत के तहत हो गया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।

 

कश्मीर के इस ऐतिहासिक निर्णय के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में प्रमुख बिंदुओं को समझाने का प्रयास करते हैं। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था, जो अब संविधान के तहत समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी स्पष्ट होता है कि कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। यह फैसला केंद्र सरकार के पहले फैसले को बरकरार रखता है, जिसे 5 अगस्त 2019 को लागू किया गया था।

 

इस फैसले के बाद, देश में अब जल्द ही जम्मू-कश्मीर में नए चुनाव हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें सरकार को निर्देश दिया है, जो जल्दी से जल्दी नये आयाम में चुनावों को संभाल सकती है। इस ऐतिहासिक फैसले के पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 16 दिनों तक सुना। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल और अन्य पक्षों के विचारों को मध्यनजर रखा।

जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले कश्मीर को भारत के अन्न अंग के रूप में जोड़ने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया है। इस निर्णय से कश्मीर के नागरिकों को भारत के संविधान और कानूनों का विश्वास और साथ मिलेगा। कश्मीर के इस ऐतिहासिक कदम से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत का संविधान सभी राज्यों और क्षेत्रों के लिए समान रूप से प्रभावी है। साथ ही, इससे कश्मीर में विकास और सुरक्षा की दिशा में भी नयी ऊर्जा मिलेगी।

 

यह फैसला भारतीय संविधान की महत्ता को दर्शाता है और देश की एकता और संविधानिक मूल्यों को मजबूती को बताता है। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय समाज में समाहित करने का अवसर भी मिलेगा। अब जब यह सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक  फैसला हो गया है, तो अब जम्मू-कश्मीर के विकास और सुरक्षा के मामले में नई दिशा में बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि भारत की सुप्रीम कोर्ट ने देश की संविधानिक मूल्यों और एकता को अपनी सर्वोच्चता मानते हुए इस मामले में न्याय दिया है। यह फैसला भारतीय संविधान के महत्त्व को दिखाता है और समान न्याय की प्राप्ति को सुनिश्चित करता है। इससे देश में सामाजिक समरसता और समानता के मूल्यों को मजबूती से बढ़ावा मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के साथ, अब जम्मू-कश्मीर में नए दिनों की आशा और नई उम्मीद की बातें हो सकती हैं। यह निर्णय देश के विकास और एकता के मामले में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

 

 

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