सांसद Pratap Simha के पास पर हुई आरोपीयों की Parliament में Entry
बुधवार को हुए इस घटनाक्रम में दो युवकों ने लोकसभा के अंदर कूदकर मचाया हैवानी मचाई, जिसके परिणाम स्वरूप सदन में अफरा-तफरी मच गई।
लोकसभा में हुए घटनाक्रम ने संसदीय स्थानों की सुरक्षा की चुनौती को उजागर कर दिया है। बुधवार को हुए इस घटनाक्रम में दो युवकों ने लोकसभा के अंदर कूदकर मचाया हैवानी मचाई, जिसके परिणाम स्वरूप सदन में अफरा-तफरी मच गई।
इस घटना में जुड़े सांसद प्रताप सिम्हा के रिफरेंस पर इन युवकों को संसद में प्रवेश के लिए पास बनाया गया था। पास पर नीचे सासंद का नाम लिखा हुआ है।
प्रताप सिम्हा कर्नाटक के मैसूर से सांसद हैं, वह दूसरी बार संसद पहुंचे हैं। और आरोपी का नाम सागर है, जो पुलिस की गिरफ्त में है।
सांसद प्रताप सिम्हा, जो कर्नाटक के मैसूर से संसदीय सीट पर बैठे हैं, की रेफरेंस से यह घटना खोलकर सामने आई है। इन युवकों को पास देकर लोकसभा में प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
जिसके बाद उन्होंने सदन में कूदकर बेहद अनैतिक और अव्यवस्थित तरीके से व्यवहार किया। इस घटना के दौरान ये युवक मेज को फांदते हुए भाग रहा था। सुरक्षाकर्मियों की त्वरित प्रतिक्रिया ने उन्हें घेर लिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। उनकी पहचान सागर शर्मा के नाम से हुई है।
प्रताप सिम्हा के रिफरेंस पर इन युवकों को पास बनाने के पश्चात भी संसद में उनकी गुप्त में आने वाली प्रवेश रणनीति पर सवाल उठे हैं। यह घटना सांसदों और सुरक्षा प्राधिकरण के संगठन में बड़ी ही चूक का संकेत देती है।
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इस घटना से पहले ही आज संसद में बीते 13 दिसंबर को हुए हमले की वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि दी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं ने इस मौके पर शहीदों को समर्पित किया।
यहां तक कि लोकसभा की कार्यवाही भी इस हादसे के कारण स्थगित कर दी गई थी। इस दौरान सांसद हनुमान बेनीवाल और सांसद मलूक नागर ने ये युवकों को पकड़ा।
संसदीय क्षेत्रों में प्रवेश का तरीका बड़ी मात्रा में सांसदों के हाथों में होता है। किसी भी आम नागरिक के लिए संसद परिसर में प्रवेश के लिए सांसद से प्रोफार्म पर आधारित पत्र लेना अनिवार्य होता है।
संसद भवन में दाखिल होने के लिए सांसद की चिट्ठी और सुरक्षा विभाग के पास निर्धारित स्थान तक पहुंचने के लिए प्रवेश पत्र की जरूरत होती है। इसका तरीका अधिकांश दृष्टिकोणों से संवेदनशील और सुरक्षित होता है।
यह घटना संसदीय सुरक्षा की जिम्मेदारी में बड़ी चूक दिखाती है। इसके परिणामस्वरूप संसदीय स्थानों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता और सख़्ती का आवश्यकता है। घटना न सिर्फ सांसदों के संसदीय क्षेत्रों में प्रवेश की उलझना उत्पन्न करती है, बल्कि सुरक्षा प्रणाली में सुधार की भी जरूरत को दर्शाती है।
इस चौंकाने वाली घटना ने संसदीय सुरक्षा व्यवस्था की महत्ता को उजागर किया है और सुरक्षा के प्रति और भी व्यापक समझने की आवश्यकता को प्रकट किया है।
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