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महाराष्ट्र ‌स्पीकर ने दाखिल की SC में याचिका, कहा विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय के लिए है अधिक समय की आवश्यकता

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था

MUMBAI : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है। इस मामले में शीर्ष अदालत में कल सुनवाई होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए 30 दिसंबर तक अधिसूचना जारी की थी। इस अनुमान के बाद कि इतने बड़े मामले में फैसला लेने के लिए अधिक समय की जरूरत है, राहुल नार्वेकर ने शीर्ष अदालत से कहा कि मामले में दस्तावेजों की भरमार होने के कारण और विधानसभा सत्र चल रहा होने के कारण उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।

 

 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा था, “हम नहीं चाहते कि मामला अगले चुनाव तक लटका रहे। अगर स्पीकर सुनवाई नहीं कर सकते तो हम करेंगे। हमने बार-बार स्पीकर से फैसला लेने के लिए कहा है।”

यह मामला शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 33 विधायकों के खिलाफ है। उद्धव गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।

राजनीतिक गतिशीलता के माध्यम से यह मामला महत्त्वपूर्ण हो गया है जो महाराष्ट्र की राजनीति को गहरे संघर्ष की दिशा में धकेल रहा है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना इस संघर्ष की मोहर बन गया है जिसमें दो शिवसेना गुटों के बीच संघर्ष चरम पर है।

शिवसेना के प्रतिनिधित्व में इस मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है, जो इस मामले की महत्ता को दर्शाती है।

विधायकों की अयोग्यता के मामले में इतनी बड़ी दस्तावेजीकरण और सत्र चल रहे होने के चलते अधिक समय की आवश्यकता होना सामान्य है। राजनीतिक विवाद के बीच इस मामले का समाधान ढंग से होना महत्त्वपूर्ण है ताकि राजनीतिक संघर्ष दूर हो सके और विधायकों की अयोग्यता के मामले में स्पष्टता आ सके।

 

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इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्त्वपूर्ण होगा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक मान्यताओं और विधायकों की अयोग्यता के मामले में नई दिशा देने के लिए सार्थक हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए 30 दिसंबर तक अधिसूचना जारी की थी। इस अनुमान के बाद कि इतने बड़े मामले में फैसला लेने के लिए अधिक समय की जरूरत है, राहुल नार्वेकर ने शीर्ष अदालत से एक 3 सप्ताह की मांग की है।
अध्यक्ष नार्वेकर ने बताया कि मामले में दस्तावेजों की भरमार होने के कारण और विधानसभा सत्र चल रहा होने के कारण उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से तीन सप्ताह का एक्सटेंशन मांगा है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था, “हम नहीं चाहते कि मामला अगले चुनाव तक लटका रहे। अगर स्पीकर सुनवाई नहीं कर सकते तो हम करेंगे। हमने बार-बार स्पीकर से फैसला लेने के लिए कहा है।”

 

यह मामला शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 33 विधायकों के खिलाफ है। उद्धव गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।

राजनीतिक गतिशीलता के माध्यम से यह मामला महत्त्वपूर्ण हो गया है जो महाराष्ट्र की राजनीति को गहरे संघर्ष की दिशा में धकेल रहा है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना इस संघर्ष की मोहर बन गया है जिसमें दो शिवसेना गुटों के बीच संघर्ष चरम पर है।

शिवसेना के प्रतिनिधित्व में इस मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है, जो इस मामले की महत्ता को दर्शाती है। विधायकों की अयोग्यता के मामले में इतनी बड़ी दस्तावेजीकरण और सत्र चल रहे होने के चलते अधिक समय की आवश्यकता होना सामान्य है। राजनीतिक विवाद के बीच इस मामले का समाधान ढंग से होना महत्त्वपूर्ण है ताकि राजनीतिक संघर्ष दूर हो सके और विधायकों की अयोग्यता के मामले में स्पष्टता आ सके।

इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्त्वपूर्ण होगा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक मान्यताओं और विधायकों की अयोग्यता के मामले में नई दिशा देने के लिए सार्थक हो सकता है।

 

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