उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने वोले मामले में डिफेंस कॉलोनी थाने में शिकायत दर्ज, दिल्ली पुलिस द्वारा जांच शुरू
एक सांसद द्वारा उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना न केवल अनुशासनहीनता का परिणाम है, बल्कि यह राजनीति की मान्यताओं को भी चुनौती देता है
जहां एक तरफ़ देश में संसदीय घमासान मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ़ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने हेतु मामले पर डिफेंस कॉलोनी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच करनी शुरू कर दी है।
थाने के प्रभारी शिकायत के बारे में सुचना प्रदान की। अभी पुलिस शिकायत के आधार पर अन्य तथ्यों पर जाँच पड़ताल कर रही है। दक्षिणी दिल्ली पुलिस उपायुक्त चंदन चौधरी का कहना है कि कुछ वकीलों के द्वारा यह शिकायत दर्ज कराई गई है।
भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में हुए कुछ घटनाक्रमों ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। राजनीतिक वातावरण में हास्यास्पद घटनाएं सामाजिक मीडिया पर व्यापक वार्ता का विषय बन गई हैं। इन घटनाओं के परिणाम सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से देखने पर विचार करने लायक हैं।
यहां हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने वाले एक सांसद के कार्यवाही का ज़िक्र हुआ है। विपक्षी सदस्यों के इस आचरण ने राज्यसभा में हंगामे का सबब बना दिया। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या राजनीति में मजाक उदाहरण और उनका प्रभाव वास्तविक दृष्टिकोण से हमारे समाज और देश को किस तरह प्रभावित करते हैं।
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राजनीतिक संसदों में इस तरह के अनर्थकारी आचरण से हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है। राजनीतिक प्रतिद्वंदीता अपनी बहुमतीय या अलगाववादी दृष्टिकोण को साबित करने के लिए इस तरह के अव्यवस्थित कार्यवाही में रुचि लेती है। लेकिन यह भारतीय लोकतंत्र के धार्मिकता और गरिमा को उच्च रक्षा की आवश्यकता रखते हैं।
एक सांसद द्वारा उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना न केवल अनुशासनहीनता का परिणाम है, बल्कि यह राजनीति की मान्यताओं को भी चुनौती देता है। ऐसे आचरण से जनता में निराशा और नाराजगी की भावना उत्पन्न होती है, जो देश के लोकतंत्रिक मूल्यों को हानि पहुंचाती है।
संसदीय संघर्षों और आम जनता में निराशा के बीच, जनता के आश्वासन को बढ़ावा देने और लोकतंत्र के महत्त्व को समझाने की आवश्यकता है। राजनीति के माध्यम से जनता को सशक्त और सक्रिय बनाने के लिए नेतृत्व की गुणवत्ता का अभिवादन किया जाना चाहिए। इस तरह के घटनाक्रमों से हमें समझना चाहिए कि राजनीति में मजाक का स्थान हो सकता है, लेकिन वहाँ यह कैसे किया जाता है, इसका महत्त्व है। समाज के उत्कृष्टता के लिए, राजनीति में मूर्खतापूर्ण और अशोभनीय आचरण को नकारना और उन्हें सुधारना हम सभी की जिम्मेदारी है।
राजनीति में मजाक उदाहरण या किसी भी तरह की हास्यास्पदता का प्रयोग सतर्कता और समझदारी से होना चाहिए। हम सभी को यहां तक की सभी नेताओं को भी विचारशीलता और जिम्मेदारी में अपना व्यवहार सुधारने की आवश्यकता है। इससे ही हम सब मिलकर एक मजबूत और समृद्ध लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।
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