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कुश्ती महासंघ के चुनाव में ब्रिजभूषण शरण सिंह के सहयोगी के जीत के बाद रोए विनेश फोगाट और साक्षी मलिक

संजय सिंह को महिला पहलवानों के लिए खास खतरा बताते हुए विनेश फोगाट ने कहा, "अब जब संजय सिंह को कुश्ती महासंघ का प्रमुख चुना गया है, तो महिला पहलवान उत्पीड़न का सामना करती रहेंगी।

भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों में हुए नतीजों ने अनेक पहलवानों को गहरे दुख से गुजरना पड़ा। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ उठे आरोपों के संदर्भ में नई चुनौती पेश कर रहे पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने अपना रोना रोक नहीं पाया।

 

संजय सिंह को महिला पहलवानों के लिए खास खतरा बताते हुए विनेश फोगाट ने कहा, “अब जब संजय सिंह को कुश्ती महासंघ का प्रमुख चुना गया है, तो महिला पहलवान उत्पीड़न का सामना करती रहेंगी।” उनकी बातों में चुनौती और समाज को आंखों में आंसू लाए उन्होंने अपना दुख प्रकट किया।

 

साक्षी मलिक भी निराशा और दुख को प्रकट करते हुए बोलीं, “चाहती थी कि कुश्ती संस्था प्रमुख का पद किसी महिला को मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।” उनका निराशा और असमंजस महसूस होता है। विनेश फोगाट ने उन महिला पहलवानों के लिए चिंता व्यक्त की, जो उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं। उनका बयान दर्द भरा है, क्योंकि वह खुद भी इस क्षेत्र में शोहरत पाने वाली हैं।

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विरोध प्रदर्शन करने वालों में पहलवानों में साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट समेत अन्य पहलवान शामिल थे।फेडरेशन के चुनाव रिजल्ट सामने आने के पश्चात इन पहलवानों ने मीडिया के सामने अपने दुख को बताया और वे लोग कैमरे के सामने ही रो पड़े।बता दें कि 12 सालों तक भारतीय कुश्ती महासंघ का नेतृत्व करने वाले बृज भूषण शरण सिंह पर कई यौन उत्पीडन के केस दर्ज है जिसके चलते उन्हें इस साल की शुरुआत में पद छोड़ना पड़ा, जिसके बाद एक बार फिर से चुनाव कराए गए, बीजेपी सांसद के सहयोगी संजय सिंह ने कल चुनाव जीतकर शीर्ष पद पर उनकी जगह ली जिससे बाद पहलवानों का दुख मीडिया के सामने फूट पड़ा।

 

इसके अलावा, यह चुनाव संघर्ष को भी दिखाता है, जहां पहलवानों ने अपने भविष्य और न्याय की मांग को लेकर रो पड़े। उनकी आंसू उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम हैं। ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने अपना दुख बताकर कहा कि वह चाहती थीं कि कुश्ती संस्था प्रमुख का पद किसी महिला को बनाया जाए ताकि महिला पहलवानों को सुरक्षित महसूस हो लेकिन ऐसा हुआ नहीं, उन्होंने कहा कि हमने लड़ाई भी की, लेकिन अगर नया अध्यक्ष बृजभूषण का सहयोगी, उनका बिजनेस पार्टनर है तो वह कुश्ती छोड़ देंगी।यह कहते हुए साक्षी मलिक ने अपने जूते टेबल पर रख दिए और कुश्ती छोड़ने का फ़ैसला किया।

 

संजय सिंह के पूर्व उपाध्यक्ष बनने से प्रेरित अनीता श्योराण की हार ने उनकी लड़ाई को मजबूती से दर्शाया है। उनके जीतने की कवायद ने भारतीय कुश्ती को नई दिशा दी है। यह चुनाव महिला पहलवानों के लिए नये संकट की घोषणा करता है। विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की आंसू उनकी चिंताओं और जज्बातों को प्रकट किया।

 

इस नए संघर्ष से उम्मीद है कि कुश्ती महासंघ में बदलाव और समानता की पहल होगी। समाज को इस विषय पर विचार करने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को समानता और सम्मान मिल सके। यह चुनौती सिर्फ कुश्ती महासंघ का ही नहीं, बल्कि समाज का भी है। समानता, न्याय और समर्थन की आवश्यकता है ताकि हर कोई इस क्रांति में शामिल हो सके।

 

 

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