राशन घोटाले पर TMC नेता गिरफ्तार, कल पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय ED की टीम पर हुआ था हमला
इस घटना के बाद राजनीतिक दलों का कहना है कि क्या लोकतंत्र ख़तरे में है ED के अधिकारियों पर इस प्रकार से हमला क्या लोकतंत्र पर सवाल नहीं उठाता इस तरह की घटनाएं राजनीतिक दलों के बीच विश्वास और समझौते को खतरे में डाल सकती हैं।
पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर हमला हुआ।अचानक भीड़ ने ईडी अधिकारियों और सीआरपीएफ कर्मियों पर हमला करना शुरू कर दिया, उनपर पथराव किया, तथा ED अधिकारियों और सीआरपीएफ के 27 कर्मियों पर लाठियों से हमला किया।
ईडी अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी भी की।’ ईडी ने कहा कि भीड़ ने अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया इस हमले ने राजनीतिक वातावरण को गंभीरता से जकड़ लिया है। हमले के दौरान ईडी अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को चोटें आईं और उनके वाहनों पर हमला किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ईडी ने तृणमूल कांग्रेस के पूर्व बोंगगांव नगरपालिका अध्यक्ष शंकर आद्या को अरेस्ट किया है। राशन वितरण घोटाला मामले में ईडी ने उनके घर और ससुराल पर छापा मारा था।
शुक्रवार को छापेमारी के दौरान भीड़ ने ईडी के अधिकारियों पर हमला किया। इस घटना में अधिकारियों को चोटें आईं और उनके सामान लूटे गए। आरोपित नेता के घर से नकदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इसके साथ ही, ईडी ने स्थानीय पुलिस में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
अधिकारियों के द्वारा कहा जा रहा है कि रिपोर्ट शनिवार तक ईडी के नई दिल्ली कार्यालय को भेज दी जाएगी और उनकी अगली कार्रवाई का फैसला वहां उनके वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। यह हमला तब हुआ था जब ईडी ने राशन वितरण घोटाले के मामले में तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के आवास पर छापेमारी की थी। ईडी अधिकारियों के कर्तव्य निर्वहन के दौरान भीड़ ने उन पर हमला किया था। इससे अधिकारियों को गंभीर चोटें आईं।
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यह घटना राजनीतिक दलों के बीच तनाव को और भी बढ़ा देगी। इसे संभावित राजनीतिक बवाल की तरह देखा जा रहा है और इससे पश्चिम बंगाल में सुरक्षा स्तरों में बढ़ोतरी की मांग की जा रही है। यह हमला राजनीतिक दलों के बीच टकराव को और भी तेज करेगा। इस घटना से सवाल उठ रहे हैं कि क्या राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ते जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में ईडी की टीम पर हमला दरअसल कानूनी कार्रवाई के दौरान हुआ था, जिससे सामाजिक और राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल मच गई है।
यह घटना स्थानीय समाचार पत्रों और मीडिया में व्यापक चर्चा का विषय बन गई है। जनता और राजनीतिक दल इस घटना पर गहरे सवाल उठा रहे हैं। इस घटना के बाद राजनीतिक दलों का कहना है कि क्या लोकतंत्र ख़तरे में है ED के अधिकारियों पर इस प्रकार से हमला क्या लोकतंत्र पर सवाल नहीं उठाता इस तरह की घटनाएं राजनीतिक दलों के बीच विश्वास और समझौते को खतरे में डाल सकती हैं। इसे समाधान के लिए जल्दी से जल्दी संभावित कारगर कदमों से निपटाना जरूरी है।
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