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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार  के फ़ैसले को किया ख़ारिज सभी 11 दोषियों को वापस जाना होगा जेल  

सोमवार को मामले में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ ने फैसला सुनाया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा में छूट को दोबारा खारिज कर दिया है।

भारतीय न्याय प्रणाली की एक महत्वपूर्ण घटना में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला गुजरात दंगों के मामले में 11 दोषियों के लिए सजा में छूट को लेकर है। इस फैसले ने व्यापक चर्चा और अनिश्चितता का माहौल बनाया है। मामले की मूल बात की जाए तो, यह गुजरात दंगों के समय की है, जब बिलकिस बानो के परिवार से सात सदस्यों की खूनी हत्या हुई थी।

उस समय वह खुद 21 वर्षीय थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं। उसके साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म का मामला भी था। इस मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने का फैसला पहले भी आया था, परंतु शीर्ष अदालत ने इसका फैसला नकारा है।

 

 

सोमवार को मामले में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ ने फैसला सुनाया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा में छूट को दोबारा खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य की सरकार ने धोखाधड़ी से इस मामले में फैसला लिया था। यह फैसला अदालत की नींव को हिला देने वाला है और उसने जनता के भरोसे को भी क्षति पहुंचाई है। इस अहम फैसले में न्यायमूर्ति ने सुधारात्मक सिद्धांत को महत्व दिया है।

उन्होंने कहा कि सजा प्रतिशोध के लिए नहीं, बल्कि समाज में सुधार के लिए होती है। इससे साथ ही, उन्होंने महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों को भी महत्व दिया। इस फैसले के बाद, अब सभी 11 दोषियों को वापस जेल जाना होगा। इससे पहले उन्हें सजा से छूट मिल गई थी, परंतु अब उन्हें फिर से जेल जाना होगा।

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इस घटना में न्याय प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्याय के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक संदेश है जो न्याय की आशा रखते हैं। इससे सामाजिक न्याय और समानता के मामले में भी एक बड़ी उम्मीद जगी है। इस तरह के फैसले समाज में न्याय और विश्वास की मजबूती का संकेत होते हैं। यह सिद्ध करता है कि कोर्ट न्याय को बरकरार रखने के लिए सजग और संवेदनशील है।

 

 

इस फैसले से एक संदेश भी जाता है कि न्याय की राह पर चलने वालों को निरंतर समर्थन और साथ दिया जाए। इससे न्याय प्रणाली में विश्वास बढ़ता है और लोगों में उम्मीद की किरणें जगती हैं। इस घटना का न्याय को समर्थन और समाज में सुधार की दिशा में एक प्रेरणास्त्रोत बनना चाहिए।

यह फैसला वो संदेश देता है कि न्याय की राह पर आगे बढ़ने वालों को समाज में पूरा समर्थन मिलेगा। यह फैसला भारतीय समाज के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो न्याय और समानता के मामले में एक महत्त्वपूर्ण संदेश देता है। इससे न्याय प्रणाली में भरोसा और समर्थन का संदेश जाता है।

 

यह फैसला न्याय की बाज़ी में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है और यह सिद्ध करता है कि न्यायमूर्तियों का निर्णय समाज में भरोसा और संवेदना बढ़ाता है।

 

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