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उत्तर प्रदेश में हुए कारसेवकों  पर गोलीकांड का मामला फिर से चर्चा में, स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया बड़ा बयान

उन्होंने आगे कहा की उस समयमौजूदा सरकार ने सविधान की रक्षा एवं कानून की रक्षाके लिए गोली चलाने का आदेश दिया था सरकार कामुख्य काम प्रदेश में अमन चैन कायम करना था

मुलायम सिंह यादव के काल में उत्तर प्रदेश में हुए कारसेवकों  पर गोलीकांड का मामला फिर से चर्चा मेंहै। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्यने हाल ही में इस घटना को समर्थन देने वाले बयान दिएहैं। कासगंज में उनके बोल सामने आए हैं, जिनमें उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने गोलियों को संविधानऔर कानून की रक्षा के नाम पर चलवाया था। इससे पहले भी, अयोध्या में हुए घटनाक्रमों पर उनकेविवादास्पद बयान आये थे।

जिसमे उन्होंने कई ऐसी बातें बोली थी, जो आपत्तिजनक थी जैसे स्वामी प्रसाद ने अपने बयान में कहा की जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर यह घटना हुईथी। तब वहां पर बिना किसी न्याय पालिका याप्रशासनिक के आदेश के बड़े पैमाने पर अराजक तत्वोंने तोड़ फोड़ की थी,उन्होंने आगे कहा की उस समयमौजूदा सरकार ने सविधान की रक्षा एवं कानून की रक्षाके लिए गोली चलाने का आदेश दिया था सरकार कामुख्य काम प्रदेश में अमन चैन कायम करना था।सरकार ने यह सब अपने कर्तव्यों के निर्वहन  करने केरूप में किया था।

 

कद्दावर नेता ने माना कि उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के मुद्देपर जो हिंसा और अराजकता दिखाई गई, उसे रोकने केलिए सरकार ने गोलियां चलवाई थीं । उनके अनुसार, इससे तत्कालीन सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया थाऔर संविधान की रक्षा के लिए कठिन फैसला लियाथा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में कठिन नीड़ लेना सरकार की मजबूरी थी।

क्या था मामला –

1990 में हुई घटना ने वह समय याद दिलाया जबहनुमान गढ़ी की दिशा में कारसेवकों को जानलेवाहमला हुआ था। तब मुलायम सिंह यादव की सरकारथी और वे खुद मुख्यमंत्री थे। वह दौर अयोध्या मेंभगवान हनुमान के मंदिर की यात्रा कर रहे थे। प्रशासन ने  कर्फ्यू लगा दिया था जिसके कारण श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। पुलिस ने बाबरी मस्जिदके पास बैरिकेडिंग की थी, लेकिन कारसेवकों की भीड़बेकाबू हो गई थी। 30 अक्टूबर, 1990 को गोलियों में 5 लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद से हर जगहखलबली फैल गई थी। 2 नवंबर को हजारों कारसेवकहनुमान गढ़ी के पास पहुंच गए थे। इस घटना के बाद, 6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे को गिराया गया था।जब मुलायम सिंह यादव ने 2013 में बयान दिया किउन्हें गोली चलवाने का अफसोस है, लेकिन उनके पासकोई अन्य विकल्प नहीं था। तो यह सब फिर से यादआ गया। अभी हाल ही में ‘ मीडिया रिपोर्ट से खासबातचीत में उन्होंने कहा कि उस समय मंदिर-मस्जिद और  देश की एकता का मुद्दा था, और उन्हें देश कीएकता के लिए गोली चलवानी पड़ी, जिसका उन्हें अफ़सोस  भी था।

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कासगंज में इस विवादित मुद्दे पर बयान देते हुए, स्वामीप्रसाद मौर्य ने विवादित घटना पर रोशनी डाली है, परन्तु इससे भी उच्च स्तरीय वार्ता और सामाजिक समूहों मेंऔर उच्च स्तर की सोच के लिए मुद्दों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। इसमें सिर्फ सरकार की ही नहीं , बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है।

 

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