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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी अय्यर के नेतृत्व में चल रहे फेमस थिंक टैंक (CPR) का FCRA किया कैंसिल

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को विभिन्न विदेशी संगठनों से धन प्राप्त हो रहा था, जिसमें फोर्ड फाउंडेशन भी शामिल थी। इसके साथ ही, थिंक टैंक पर यह भी आरोप लगे थे कि उसने गुजरात की सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ को चंदा दिया था,

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी अय्यर के नेतृत्व में चल रहे फेमस थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) का FCRA (फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) कैंसिल कर दिया गया है। सरकार ने संस्था के FCRA लाइसेंस को रद्द करते हुए उसके नियमों के उल्लंघन पर एक्शन लिया है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) को उन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो आज के भारतीय समाज और राजनीतिक परिदृष्टियों को गहरे रूप से प्रभावित कर रही हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के थिंकर और पॉलिसी मेकर्स को एक स्थान पर मिलाकर नीतिगत मुद्दों पर विचार करना है और उन पर फैसले लेना है।

mha cancelled yamini aiyar think tank centre fcra- कांग्रेस नेता मणिशंकर  अय्यर की बेटी के थिंक टैंक का FCRA कैंसिल, नियमों के उल्लंघन पर गृह  मंत्रालय का बड़ा एक्शन ...

 

मंथन का आरंभ हुआ था मार्च महीने में, जब गृह मंत्रालय ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के FCRA लाइसेंस को सस्पेंड किया था। इसके बाद, अब मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (MHA) के FCRA डिविजन ने इस लाइसेंस को पूरी तरह से रद्द कर दिया है। उच्च स्तरीय अधिकारियों के मुताबिक, थिंक टैंक के नियमों का उल्लंघन करने के कारण इसे यह कदम उठाना पड़ा।

 

सूत्रों के अनुसार, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को विभिन्न विदेशी संगठनों से धन प्राप्त हो रहा था, जिसमें फोर्ड फाउंडेशन भी शामिल थी। इसके साथ ही, थिंक टैंक पर यह भी आरोप लगे थे कि उसने गुजरात की सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ को चंदा दिया था, जिसका FCRA लाइसेंस सरकार ने सस्पेंड कर दिया था। इस मामले में, गृह मंत्रालय ने पहले छह महीने के लिए सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के FCRA को सस्पेंड किया, जिसे बाद में छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। संस्था ने इस मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट में रुख किया, लेकिन अब उसका FCRA लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।

 

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सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च भारत के विकास और नीतिगत मुद्दों पर गहन शोध करने का कार्य कर रहा था, और इसका दावा था कि इसका उद्देश्य ईकोनॉमिक सिस्टम को विकसित करना है। यह संस्था देश के थिंकर और पॉलिसी मेकर्स को एक स्थान पर मिलाकर नीतिगत मुद्दों पर गहन विचार करने और फैसले लेने का मंच प्रदान करती थी।

 

केंद्र सरकार द्वारा विदेशी फंडिंग को लेकर दिखाए गए सख्त स्तंभों का हिस्सा बनते हुए, यह कदम एक और प्रमुख उदाहरण है जिसमें सरकार ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च संस्था के FCRA लाइसेंस को रद्द करते हुए उस पर नियमों के उल्लंघन एक्शन लिया है। इसके साथ ही, इसमें बढ़ती हुई एक सार्थक चुनौती है कि कैसे सरकार देश के एनजीओ को विदेशों से आने वाले फंड को लेकर गंभीरता से लेती है और NGOs से नियमों का पालन करने की मांग करती है।

 

ऑक्सफैम इंडिया, न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक और मीडिया फाउंडेशन जैसी अन्य संस्थानों के साथ साझा करते हुए, सरकार ने इनकी विदेशी फंडिंग को लेकर जांच के दायरे में बढ़ावा दिया है। इस प्रकार, सरकार द्वारा अपनाए जा रहे सख्त नियमों के कारण, विभिन्न संस्थानों को चाहिए कि वे अपने गतिविधियों को सावधानीपूर्वक चलाएं ताकि उन्हें किसी भी समय सरकार के दबाव का सामना न करना पड़े।

 

By Neelam Singh.

 

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