केंद्र द्वारा जारी किये गए कोचिंग सेंटर विनियमन के 2024, शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव
अब कोचिंग संस्थान उम्र से कम बच्चों को नहीं ले पाएंगे, जिससे उन्हें अपनी रैंक और पढ़ाई की गारंटी देने का दबाव नहीं होगा। इसके साथ ही, फीस को नियंत्रित करने और मानसिक स्वास्थ्य को पहलू में रखने का प्रयास किया जा रहा है।
केंद्र द्वारा जारी कोचिंग सेंटर विनियमन के 2024 के नए दिशानिर्देशों ने शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव की राह दिखाई है। नए निर्देशों के अनुसार, 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को कोचिंग सेंटरों में नामांकन की अनुमति नहीं होगी, और माता-पिता और छात्रों से भ्रामक वादे या रैंक की गारंटी नहीं मांगी जाएगी।
सामान्यत: हम देखते हैं कि अभिभावक अपने बच्चों को टॉप कोचिंग सेंटरों में दाखिल करवाने के लिए तैयार होते हैं और इसके लिए वे बच्चों को विभिन्न रैंकिंग की गारंटी देने के लिए कोचिंग संस्थानों के साथ अनुबंध करते हैं। यह नए निर्देश उन्हें सावधान करेगा और इससे बच्चों को अपनी पढ़ाई में सही दिशा मिलेगी। कोचिंग सेंटरों की गहराईयों में बात करते हुए, इस इंडस्ट्री ने बच्चों को एक खुदरा सामाजिक प्रोजेक्ट की तरह बना दिया है, जहां कोचिंग संस्थान ही सब कुछ होते हैं। इससे बच्चों की जिम्मेदारियों में कमी होती है और उन्हें सही दिशा में पढ़ाई की शुरुआत करने का मौका मिलता है।
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नए निर्देशों के तहत, अब कोचिंग संस्थान उम्र से कम बच्चों को नहीं ले पाएंगे, जिससे उन्हें अपनी रैंक और पढ़ाई की गारंटी देने का दबाव नहीं होगा। इसके साथ ही, फीस को नियंत्रित करने और मानसिक स्वास्थ्य को पहलू में रखने का प्रयास किया जा रहा है। दिल्ली के एल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक राजीव झा के मुताबिक, सरकार के नए निर्देशों का स्वागत है, क्योंकि इससे बच्चों को अपने मार्ग पर चलने का मौका मिलेगा। हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि सरकार ने इसमें काफी देर कर दी है और कोचिंग संस्थानों को और भी सख्ती से नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना चाहिए।
शशि प्रकाश सिंह, जो कोटा समेत कई जगहों पर शिक्षा से जुड़े हुए हैं, कहते हैं कि नए निर्देशों का स्वागत है, लेकिन इन्हें सख्ती से पालन करना होगा ताकि इससे सच्च में प्रभाव हो सके। वे यह भी चाहते हैं कि नियमों की उल्लंघन को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है कि उन्होंने देखा है कि छोटी उम्र के बच्चों के जो पेरेंट्स इन कोचिंग सेंटरों के जाल में फंस जाते हैं, उनका बच्चे के बड़े होते तक यहां सब लुट जाता है। वे समझाती हैं कि नए निर्देशों से कोचिंग सेंटर्स का पैटर्न बदलेगा, लेकिन इसे सख्ती से पालन करना होगा ताकि विशेषज्ञता और मानवीय मूल्यों का पालन हो सके।
आने वाले समय में हम यह देखेंगे कि क्या ये नए निर्देशों ने वाकई में कोचिंग सेंटर्स की दुनिया को कैसे बदला लाते हैं, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि बच्चों की पढ़ाई को लेकर सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
By Neelam Singh.
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