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बिहार में राजनीतिक बदलाव सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा होंगे उप मुख्यमंत्री, नीतीश के साथ BJP उतार रही है नए चेहरे

बीजेपी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी इस घड़ी में शामिल होने के लिए पटना बुलाया है, जिससे नई सरकार को एक मजबूत नेतृत्व प्राप्त हो  सके।

बिहार में नई एनडीए सरकार का नामकरण और मुख्यमंत्री के पद की शपथ ग्रहण की तैयारी में एक नया युग आरंभ हो रहा है। जिसमें नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में वापसी की खबरों के साथ राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस सामरिक घड़ी में, भाजपा ने भी दो नए चेहरे, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उप मुख्यमंत्री के पद के लिए चुना है।

 

 

पिछली जेडीयू-बीजेपी गठबंधन सरकार में तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी उप मुख्यमंत्री रहे थे, लेकिन इस बार भाजपा ने यह निर्णय लिया है कि बिहार को एक नए दिशा में ले जाएंगे। राजनीतिक बदलाव करते हुए, भाजपा ने जातिगत समीकरण को मजबूत करने का प्रयास किया है जिसमें भाजपा ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को चयन किया है।

 

भूमिहार, कोइरी, और यादवों के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए यह नए चेहरे अहम भूमिका निभाएंगे। बता दें कि विजय सिन्हा भूमिहार और सम्राट चौधरी कोइरी समाज से हैं, जो इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।  यादव समुदाय के बाद, कुर्मी-कोइरी भी बड़ा वोट बैंक हैं, और इस बार यह एक सामाजिक मिशन का हिस्सा बन सकता है।

ये खबर भी पढ़ें :  नीतीश कुमार ने रविवार को राजभवन में इस्तीफा दिया, और कहा ‘हमारी पार्टी की राय के बाद ही मैंने इस्तीफा दिया है

नीतीश कुमार के इस्तीफे से पहले, भाजपा ने जदयू से समर्थन पत्र सौंपने में थोड़ी  रुकावट डाली थी और इस पूरे प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई थी।  बीजेपी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी इस घड़ी में शामिल होने के लिए पटना बुलाया है, जिससे नई सरकार को एक मजबूत नेतृत्व प्राप्त हो  सके।

 

इस बदलते राजनीतिक मंच पर, भाजपा ने विधायक दल का समर्थन प्राप्त करने के लिए सम्राट चौधरी को विधायक दल के नेता बनाया  है, जबकि विजय सिन्हा को उप मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया है। इन नए नेतृत्व पदों से उम्मीद है कि बिहार को एक सामर्थ्यपूर्ण और जनहितकारी सरकार मिलेगी।

 

नीतीश कुमार ने अपने इस्तीफे के दौरान राज्यपाल से मिलकर महागठबंधन को भंग करने की भी मांग की है। उनका कहना है कि उन्हें लगता था कि महागठबंधन में सहयोग करना सही कदम नहीं है। उन्होंने यह भी जताया कि वे लंबे समय से महागठबंधन की स्थिति को लेकर चिंतित थे, और पार्टी के कार्यकर्ताओं से राय लेने के बाद ही उन्होंने यह निर्णय लिया है।

 

 

हालाँकि नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद, भाजपा के सामने यह  चुनौती बनी रहेगी कि वह किस प्रकार नई सरकार को स्थायी रूप से स्थापित कर सके और बिहार को एक नयी दिशा दे सके। इस समय के महत्वपूर्ण हकीकतों को ध्यान में रखते हुए, यह नया नेतृत्व बिहार को समृद्धि और समर्थन की दिशा में आगे बढ़ाने का संकेत है।जब जनता के सामाजिक और आर्थिक हितों की पहली प्राथमिकता हो, तो इस नए युग में बिहार का सफल नेतृत्व होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

By Neelam Singh.

 

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