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Uttarakhand: CM धामी को सौंपा गया यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट, 400 धाराएं, लड़कियों की शादी की लीगल उम्र 21 साल……

इस कमेटी ने तीन दिनों से अधिक समय से धाराओं और प्रावधानों की दृष्टि से मसौदे पर काम किया है, जिसमें पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को सुधारने का मुद्दा है।

उत्तराखंड सरकार ने नागरिक संहिता को समर्थन देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, उन्होंने 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य सामान्य नागरिकों के लिए एक सामान्य सिविल कोड (UCC) बनाना था। इस कमेटी ने तीन दिनों से अधिक समय से धाराओं और प्रावधानों की दृष्टि से मसौदे पर काम किया है, जिसमें पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को सुधारने का मुद्दा है।

 

400 धाराएं, लड़कियों की शादी की लीगल उम्र 21 साल... उत्तराखंड में यूनिफॉर्म  सिविल कोड पर आज आएगी ड्राफ्ट रिपोर्ट - Justice Desai Committee submit the  UCC draft to CM ...

 

इस मसौदे के अनुसार, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने पर बहुविवाह पर रोक भी लग सकती है। इसके अलावा, लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है, और लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना और पुलिस में रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक हो सकता है।

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पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता- पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा, पति की मृत्यु होने की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ भी साझा किया जाएगा, यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिल पता है, तो उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी, अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

Uttarakhand Chunav 2022 CM Dhami promises to apply Uniform Civil Code while  taking CM oath | सीएम धामी का दावा, मार्च में अगर शपथ ग्रहण करता हूं, तो  साथ ही लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड | Hindi News, Uttarakhand

 

इस नए सिविल कोड के तहत, विवाह के बाद पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है और पंजीकृत ना होने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित होने की भी संभावना है। मुस्लिम महिलाओं को बच्चे गोद लेने का अधिकार होगा और इस प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। इस सिविल कोड के अंतर्गत, लड़कियों को लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार मिलेगा और विभिन्न समुदायों के बीच इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लग सकता है।

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इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी प्रावधान किया जा सकता है, जिसमें बच्चों की संख्या पर सीमा निर्धारित की जा सकती है। साथ ही, महिला केंद्रित प्रावधानों पर केंद्रित हो सकता है, जो नारीशक्ति को सुरक्षित और समान अधिकार के साथ जीने में सहायक हो सकता है। इस सबका मकसद सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में कदम बढ़ाना है। नए सिविल कोड के अंतर्गत, धार्मिक विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए सभी नागरिकों को एकसमान अधिकार और कर्तव्यों का अधिकार होगा।

 

 

इस कदम से UCC का अमल उत्तराखंड में शुरू होने वाला है, जिससे यह देश का पहला राज्य बन जायेगा जो इसे लागू करेगा। इन सभी विकल्पों के साथ, सरकार ने सबका सहयोग लेने के लिए विशेषज्ञों को शामिल किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल शामिल हैं। इन सदस्यों ने तीन दिनों से अधिक का समय देकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार-विमर्श किया है और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प किया है।

 

By Neelam Singh.

 

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