बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने हासिल किया विश्वास मत, विपक्ष ने वोटिंग से पहले ही कर दिया वॉकआउट…..
विपक्ष ने पहले ही वोटिंग से पहले वॉकआउट कर दिया, लेकिन उनकी रणनीति और उनके धीरे-धीरे बदलते खेल ने हर किसी को हैरान कर दिया।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर तेजी और दिलचस्पी का माहौल बन गया है। नीतीश कुमार की सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है, लेकिन इस प्रक्रिया में हुए रोमांचक घटनाक्रमों ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। विपक्ष ने पहले ही वोटिंग से पहले वॉकआउट कर दिया, लेकिन उनकी रणनीति और उनके धीरे-धीरे बदलते खेल ने हर किसी को हैरान कर दिया।
जेडीयू ने आरजेडी के साथ मिलकर सरकार को गिराने का खेल रचा, लेकिन एनडीए के साथ उनका सहयोग खत्म हो गया। आरजेडी की योजना थी कि सत्तापक्ष के विधायकों को सदन में अनुपस्थित कर पहले अपने स्पीकर की कुर्सी बचाई जाए। इसके बाद स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सदन में गिरने के बाद सत्तापक्ष के विधायकों को स्पीकर से अलग गुट की मान्यता दिलवाई जाए। फिर फ्लोर टेस्ट में सरकार को गिराने का प्रयास किया जाए।
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जेडीयू के तीन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, जिससे एनडीए के पक्ष में कुल 129 वोट पड़े। इसके बावजूद, विपक्ष ने वोटिंग से पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया, जिससे उनकी योजना बिगड़ गई। फिर भी, रणनीतिकर्ताओं और राजनीतिज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में जेडीयू का भारी नुकसान हो सकता है। इस वक्त की राजनीति में आलोचना और योजनाबद्धता की कमी उनके लिए बड़ी समस्या हो सकती है।
बिहार की राजनीति में इस घटना के बाद, सभी दलों को अपनी रणनीति को दोबारा देखने की जरूरत है। विपक्ष को समझना होगा कि उनकी योजनाबद्धता में कहाँ कमी थी, जबकि सत्तापक्ष को अपनी बलवानी को बनाए रखने की आवश्यकता है। इस समय, राजनीतिज्ञों का कहना है कि बिहार की राजनीति में नई दिशा और नई रणनीति की आवश्यकता है। जिससे कि राजनीतिक दल और नेताओं के बीच समझौता हो सके और राज्य विकास की राह में अग्रसर हो सकें।
अब, नीतीश कुमार की सरकार को लेकर आए नवीनतम परिणामों के साथ, बिहार की राजनीति का माहौल नए रंगों में रंगा जा रहा है। यह दिखाता है कि राजनीतिक संघर्ष और रणनीति निर्माण का खेल कितना उत्तेजक और अनियमित हो सकता है। इस घटना से स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतिकर्ताओं को समर्थित रखने और उनकी योजनाओं को ध्यान में रखने की जरूरत है। इसके बिना, राज्य की राजनीति में स्थिरता और समानता की बात नहीं की जा सकती।
By Neelam Singh.
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