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अखिलेश यादव ने लिया बड़ा फ़ैसला वह नहीं होंगे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल, देर रात तक हुई बात लेकिन सीट शेयरिंग पर नहीं निकला समाधान….

अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया कि यदि गठबंधन पर अंतिम समझौता नहीं होता, तो वे राहुल गांधी की यात्रा में शामिल नहीं होंगे।

देर रात तक चली बातचीत के बावजूद, सपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच लोकसभा सीटों का पेच तय नहीं हो पाया है। अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया कि यदि गठबंधन पर अंतिम समझौता नहीं होता, तो वे राहुल गांधी की यात्रा में शामिल नहीं होंगे। यूपी में कांग्रेस के प्रिय शहरों में से रायबरेली में इस यात्रा में उनकी उपस्थिति की उम्मीद थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अखिलेश यादव के इस निर्णय ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा को एक ओर झटका दिया है।

 

Akhilesh Yadav not to participate in Rahul Gandhi's Yatra until seat  distribution for LS polls finalised – India TV

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश को लेकर अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस यात्रा के दौरान, अखिलेश यादव की शामिलता सोची जा रही थी, परंतु अब उनका इसमें हिस्सा नहीं होगा। जानकारों के मुताबिक, उन्होंने रायबरेली में भी यात्रा में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। इस नए घटनाक्रम ने सीट बंटवारे की प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया है।

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सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर सपा और कांग्रेस के बीच अब भी समझौते का माहौल नहीं है। इसका प्रभाव दोनों दलों के संबंधों और राहुल गांधी की यात्रा पर पड़ रहा है। गठबंधन की एकता को प्रकट करने का यह अवसर बिगड़ गया है। सीटों के बंटवारे में कुछ स्थानों पर अभी भी विवाद है।

कांग्रेस को मुरादाबाद और बलिया की सीट पर अधिकार चाहिए, जिसे लेकर सपा तैयार नहीं है। समाजवादी पार्टी के मुताबिक, मुरादाबाद को लेकर उनकी सहमति नहीं है। कांग्रेस भी मुरादाबाद के लिए मजबूती से दावेदार है। इसके अलावा, बिजनौर की सीट भी कांग्रेस चाहती है, जिस पर सपा तैयार नहीं है।

Akhilesh Yadav's ultimatum: 'Will join Rahul Gandhi's yatra only after...'  | Latest News India - Hindustan Times

दोनों दलों के बीच 17 सीटों का फाइनल समझौता हो चुका है, जिसमें अमेठी, रायबरेली के अलावा वाराणसी, प्रयागराज, देवरिया, बांसगांव, महाराजगंज, बाराबंकी, कानपुर, झांसी, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हाथरस और सहारनपुर शामिल हैं। लेकिन बलिया, मुरादाबाद, और बिजनौर पर विवाद बना हुआ है।

 

 

इस संघर्ष में, दोनों दलों को साथ मिलकर सहमति बनाने के लिए एक रास्ता ढूंढना होगा। गठबंधन के नेताओं को मिलकर विवादों को सुलझाना होगा, ताकि वे एकजुट होकर चुनाव में सशक्त रूप से प्रतिस्थापित हो सकें। यह एक नई चुनौती है, जो दोनों दलों को साथ मिलकर परिणामकारी राजनीति के लिए तैयार करेगी।

BY Neelam Singh.

 

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