Chaupal KhabarGlobalPoliticsTop Story

जयशंकर ने मुइज्जू को अपने ही अंदाज में सुनाया, ‘दबंगई करने वाले 4.5 अरब डॉलर की मदद नहीं देते….

डॉ. जयशंकर ने अपनी किताब 'व्हाइ भारत मैटर्स' के लॉन्चिंग इवेंट में संकट में फंसे पड़ोसी देशों की मदद पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जब किसी पड़ोसी देश की स्थिति मुश्किल होती है, तो विशेष रूप से 'बिग बुलीज' 4.5 अरब डॉलर की मदद नहीं करते।

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुजात सिंह के नेतृत्व में भारत ने हाल ही में अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए एक अहम पहल की है। डॉ. जयशंकर ने अपनी किताब ‘व्हाइ भारत मैटर्स’ के लॉन्चिंग इवेंट में संकट में फंसे पड़ोसी देशों की मदद पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जब किसी पड़ोसी देश की स्थिति मुश्किल होती है, तो विशेष रूप से ‘बिग बुलीज’ 4.5 अरब डॉलर की मदद नहीं करते। उन्होंने कहा कि यह समय है कि हम भारत के और उसके पड़ोसी देशों के बीच के संबंधों को समझें और सुधारें।

जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत को बुली के तौर पर देखा जाता है, तो उन्होंने विपक्षी राष्ट्रों के ‘बिग बुलीज’ के बयान को याद किया। उन्होंने बताया कि वे जो देशों को अपने हितों के लिए तनाव में रखते हैं, वे उन्हें मदद नहीं करते। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच बदलाव आया है, जैसे कि बांग्लादेश और नेपाल के साथ व्यापारिक संबंधों में सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि यह सुधार नेपाल, श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश के साथ निवेश और व्यापार में वृद्धि के साथ आया है इस बात को लेकर जितना विवाद तंग था, उतना ही भारत और मालदीव के बीच भी था। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने हाल ही में चीन का दौरा किया था, जिससे भारत के साथ उसके संबंधों में नई चुनौतियों का सामना हुआ। उन्होंने भारत के खिलाफ किए गए टिप्पणियों को समर्थन दिया था, जिनसे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था।

डॉ. जयशंकर ने अपनी किताब ‘व्हाइ भारत मैटर्स’ के लॉन्चिंग इवेंट में संकट में फंसे पड़ोसी देशों की मदद पर जोर दिया।

मालदीव और भारत के बीच इस संबंध में कुछ और महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद, मालदीव के तीन मंत्रियों ने उनकी  कुछ तस्वीरों पर टिप्पणी की थी, जिससे उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। इससे बड़े पैमाने पर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा है। भारत और मालदीव के बीच विवाद के पीछे की वजहें और उनके संबंधों में हो रहे परिवर्तनों को लेकर निश्चित रूप से समझना और उन्हें सुलझाने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध रखने के लिए साथ मिलकर काम करना आवश्यक है, ताकि क्षेत्र में स्थिरता और विकास हो सके। समय निकल रहा है कि भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच के संबंधों में नए दृष्टिकोण और उन्हें सुधारने की दिशा में कदम उठाए जाएं। यह सुनिश्चित करना होगा कि इस विवाद को हल करने के लिए सभी पक्षों के बीच बातचीत और समझौते हों। इसके बिना, क्षेत्र में स्थिरता की कोई संभावना नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button