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ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, शाहजहां शेख की कस्टडी पर पश्चिम बंगाल और केंद्र आमने-सामने…..

संदेशखाली मामले और शेख शाहजहां मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ TMC सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। लेकिन कोर्ट ने इस मामले पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

संदेशखाली मामले और शेख शाहजहां की कस्टडी पर पश्चिम बंगाल और केंद्र आमने-सामने आ गए है। ममता सरकार ने संदेशखाली और शेख शाहजहां के मामले पर सीबीआई जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने ममता सरकार की तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। TMC की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सुनवाई कब करनी होगी यह CJI तय करेंगे।

पांच जनवरी को पश्चिम बंगाल में एक राशन घोटाले के मामले में सीबीआई की टीम ने अकुंजीपारा में शेख शाहजहां के आवास पर छापेमारी की थी। इसके बाद, स्थानीय लोगों ने अधिकारियों पर हमला किया और कई अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को जख्मी कर दिया। इस घटना के बाद 55 दिनों के बाद पुलिस ने शेख को गिरफ्तार किया। ममता सरकार ने ईडी टीम पर हमले के बाद सीबीआई को इस मामले की जांच के लिए सौंपने का विरोध किया। उनके अनुसार, एसआईटी पहले से ही इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है, इसलिए सीबीआई को इसे सौंपने की आवश्यकता नहीं है। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया जहां उन्हें तुरंत सुनवाई करने की याचिका दी गई। इसके अलावा, कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक अलग मामले में भी ममता सरकार को झटका दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है कि ईडी टीम पर हमले की जांच को सीबीआई को सौंपा जाए। ममता सरकार ने इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है, जहां उन्होंने जल्दी सुनवाई की मांग की है।

TMC की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सुनवाई कब करनी होगी यह CJI तय करेंगे।

यह संघर्ष पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्तिथि को और भी गहरा बना देगा। ममता सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि वह सरकारी इंस्टीट्यूशंस को सीबीआई के पास सौंपने के लिए तैयार नहीं है। वह सीबीआई की न्यायिक जांच की बजाय एसआईटी को भरोसा देना चाहती है। इस मामले में जनता की भावनाओं को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। सीबीआई की जांच में जनता को अधिक विश्वास होता है, क्योंकि यह एक निष्पक्ष जांच को सुनिश्चित करता है। पार्टी प्रतिद्वंद्वियों के दावों में भी विश्वास का संदेश जाता है।

सुप्रीम कोर्ट की आगे की कार्रवाई से यह साफ है कि यह मामला राजनीतिक खेल का हिस्सा बन चुका है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जल्दी सुनवाई की मांग करना इसका सबूत है। यहां तक कि जनता भी इस मामले में अधिक निष्पक्षता और न्याय की मांग कर रही है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नई घटना उत्पन्न हो गई है, जो सीबीआई जांच के मामले में उच्चतम न्यायालय के दरवाजे तक पहुंच गई है। यह संघर्ष न केवल राजनीतिक जमीन पर है, बल्कि जनता के भरोसे और न्याय की मांग पर भी नजर रखता है। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट कैसे इस मामले को सुलझाता है और क्या इससे पश्चिम बंगाल की राजनीति में कोई नई मोड़ आता है।

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