एक राष्ट्र, एक चुनाव” पर रिपोर्ट: कोविंद समिति ने राष्ट्रपति को सौंपी एक देश-एक चुनाव पर रिपोर्ट
रिपोर्ट। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें समाज के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण और सुझावों का मूल्यांकन किया गया है। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा के साथ स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ कराने के सुझाव का मकसद प्रणाली में सुधार करना है।
समाज में विभाजन और चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण बदलावों में से एक रहा है “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की प्रस्तावित रिपोर्ट। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें समाज के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण और सुझावों का मूल्यांकन किया गया है। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा के साथ स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ कराने के सुझाव का मकसद प्रणाली में सुधार करना है। इसमें पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराकर, दूसरे चरण में 100 दिन के अंदर स्थानीय निकायों के चुनावों को आयोजित करने का प्रावधान किया गया है।
रिपोर्ट में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों में एक राष्ट्र, एक चुनाव की प्राथमिकता, प्रक्रियात्मक विकल्पों की समीक्षा, आर्थिक व्यवस्था की व्यवहार्यता, और उपयुक्त संविधानिक बदलाव शामिल हैं। रिपोर्ट में इन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि एक साथ चुनाव की संभावना के प्रति सार्वजनिक और राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारपूर्वक चर्चा हो सके। इस रिपोर्ट के मुख्य लेखकों में से एक ने अपनी शर्त पर यह बताया कि समिति 2029 में एक साथ चुनाव कराने का सुझाव देगी, जिससे प्रक्रियात्मक और तार्किक मुद्दों पर चर्चा की जा सके। इसके साथ ही, रिपोर्ट में विभिन्न आर्थिक और प्रशासनिक मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में विभिन्न अन्य सदस्यों के भी महत्वपूर्ण योगदान हैं। रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष NK सिंह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्राची मिश्रा द्वारा एक साथ चुनावों की आर्थिक व्यवहार्यता पर विचार किया गया है। रिपोर्ट में इसके अलावा आवश्यक वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों का भी उल्लेख किया गया है।
समिति की रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने की संभावना को लेकर एक महत्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख किया गया है कि 1951-52 और 1967 के बीच तीन चुनावों के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि पहले की तरह अब भी एक साथ चुनाव करना संभव है। इससे पहले की तरह, यह विकल्प चर्चा करने योग्य है कि क्या एक साथ चुनाव कराना उचित होगा या नहीं।
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इस समिति की रिपोर्ट के माध्यम से प्रस्तावित बदलाव के तहत संविधान की संशोधन की संभावना भी है। इसमें लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए एक एकल मतदाता सूची के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, रिपोर्ट को लागू करने के लिए उच्च स्तरीय निर्णय लिया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि रिपोर्ट के सुझावों का उपयोग चुनाव प्रक्रिया में लागू किया जा सके, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नेतृत्व में समिति के द्वारा तैयार किया गया था।
एक बार जब रिपोर्ट को लागू किया जाएगा, तो यह संविधान की संशोधन के लिए नवीनतम प्रस्तावित बदलावों में से एक होगा। इससे चुनाव प्रक्रिया में सुधार किए जाएंगे और सामाजिक विभाजन को कम किया जा सकेगा। इस रिपोर्ट के प्रस्तावित बदलाव का संविधानिक समीक्षण और समाज में जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण योगदान होगा। यह भारतीय लोकतंत्र को मजबूती और अधिक संवेदनशील बनाने का एक प्रयास होगा जो समृद्धि और समाजिक न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।