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10 करोड़ के बॉन्ड दरवाजे पर छोड़ गया JDU का सीक्रेट दानवीर, बिहार का सबसे बड़ा सियासी रहस्य

Electroral bond का 2019 का डेटा भी इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है जिससे की पता चला कि JDU को 2019 में कुल 13 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी इनमें दिखाया गया है की पार्टी को 10 करोड़ रुपये किसी 'अनजान शख्स' ने फंडिंग की थी।

Electroral bond  का 2019 का डेटा भी इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है  जिससे की पता चला कि JDU को 2019 में कुल 13 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी इनमें दिखाया गया है की पार्टी को 10 करोड़ रुपये किसी ‘अनजान शख्स’ ने फंडिंग की थी। और पार्टी को उसका ‘कुछ पता ही नहीं चला.’ इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले के बाद अब इस मामले पर सियासत भी खूब हो रही है हालाँकि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और बीजेपी के विरोधी उसे इलेक्टोरल बॉन्ड के सवाल पर हर तरह से घेरने पर लगे हैं इसी बीच बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में एक दिलचस्प कहानी देखने को मिली हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर चली लंबी सुनवाई के दौरान सभी राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में कोर्ट ने जानकारी भी मांगी थी। जिसके बाद  कोर्ट ने निर्णायक फैसले के पहले एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड लेने वालों का पूरा डाटा उपलब्ध कराने को आदेश दिया था। हालाँकि एक बार तो कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से इस मामले में जवाब मांगा था साल 2019 में जनता दल यूनाइटेड को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 13 करोड़ रुपए मिले थे और  इस बाबत जेडीयू की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी गई थी दिलचस्प बात सामने यह आयी कि जेडीयू की तरफ से जो जवाब दिया गया उसमें 10 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड देने वाले शख्स के बारे में कोई भी जानकारी जेडीयू ने साझा नहीं की थी।

सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर चली लंबी सुनवाई के दौरान सभी राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में कोर्ट ने जानकारी भी मांगी थी। जिसके बाद कोर्ट ने निर्णायक फैसले के पहले एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड लेने वालों का पूरा डाटा उपलब्ध कराने को आदेश दिया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जेडीयू ने 2019 में जो जवाब दिया था उसके अनुसार  10 अप्रैल 2019 को किसी अनजान व्यक्ति ने पार्टी को 10 करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड दिए थे। हालाँकि जेडीयू के तत्कालीन प्रदेश महासचिव नवीन आर्य की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 3 अप्रैल 2019 को किसी अनजान शख्स ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आकर एक सीलबंद लिफाफा दे दिया था इस लिफाफे को खोला गया तो उसमें एक-एक करोड़ रुपए के 10 इलेक्टोरल बॉन्ड पाए गए, जिसके बाद जेडीयू ने पटना के एसबीआई मेन ब्रांच में एक खाता खोलकर इन सभी इलेक्टोरल बॉन्ड को कैश करा लिया था।

ये खबर भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी SBI की दलील, कहा ‘इलेक्टोरल बॉन्ड पर कल तक ही दें पूरा डेटा……

जेडीयू को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी यह कहानी बेहद दिलचस्प है  इस मामले पर पार्टी का कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है जानकारी के मुताबिक, 2019 में जेडीयू को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 13 करोड़ रुपए मिले थे. 10 करोड़ रुपए किसी अनजान शख्स से मिले, जबकि एक सीमेंट निर्माता कंपनी से जेडीयू को एक-एक करोड़ रुपए के दो बॉन्ड मिले थे इसके अलावा एक मोबाइल कंपनी ने भी जेडीयू को एक करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड दिया था।

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