राज ठाकरे और बीजेपी को क्यों है एक-दूसरे की जरूरत ठाकरे कार्ड, मराठी वोटों का गणित और हिंदुत्व की पिच।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे की एनडीए संग शामिल होने की चर्चा तेज हो रही है। राज ठाकरे ने बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की, और उसके बाद गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल बढ़ रही है, और नए समीकरणों की चर्चा देश भर में उमड़ गई है। नवनिर्मित राजनीतिक दिशाएं नजर आ रही हैं, जो महाराष्ट्र की राजनीति को मुंबई से लेकर दिल्ली तक गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे की एनडीए संग शामिल होने की चर्चा तेज हो रही है। राज ठाकरे ने बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की, और उसके बाद गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके अलावा, MNS को आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण मुंबई और शिर्डी सीट पर दावेदारी करने की संभावना है।
महाराष्ट्र में नवनिर्मित राजनीतिक समीकरणों के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण है कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मुंबई और आसपास के इलाकों में उद्धव गुट और कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना कितना नुकसान पहुंचा सकता है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। दूसरा कारण है मूड ऑफ द नेशन सर्वे में भी महा विकास अघाड़ी और एनडीए के बीच में करीब 4 प्रतिशत वोट का अंतर दिखाई दिया था, जिससे फ्लोटिंग वोट को बाधाओं से सामने लाने की जरूरत है। तीसरा कारण है कि बीजेपी को लगता है कि शिवसेना के कोर मराठी वोटर अभी भी उद्धव ठाकरे के समर्थन में हैं और बीजेपी को ट्रांसफर होने की संभावनाएं कम हैं। चौथा कारण है कि राज ठाकरे की पार्टी का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे जा रहा है, और उनके लिए एनडीए में आना एक तरह से मजबूरी है। और पांचवा कारण है कि राज ठाकरे को लगता है कि उद्धव ठाकरे के कांग्रेस के साथ जाने से हिंदुत्व की पिच खाली है, और बीजेपी के समर्थन से संगठन को भी मजबूत किया जा सकता है।
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यह सभी कारण साथ मिलकर महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरणों की तैयारी को अंतिम रूप दे रहे हैं। राज ठाकरे की यह बातचीत सिर्फ बीजेपी हाईकमान के साथ हो रही है, जो इस गठबंधन को और भी मजबूत बना सकती है। इस प्रकार, राज ठाकरे के संग एनडीए आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो सकती है, जो महाराष्ट्र की राजनीति को नए दिशाओं में ले जा सकती है।