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वरुण गांधी ने उजागर किया पीलीभीत से टिकट कटने का ‘राज’ ढाई साल पुरानी चिट्ठी से ऐसे जुड़ रहा नाता.

भाजपा नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के नाम एक चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी उनके और पीलीभीत के लोगों के बीच के गहरे संबंध को प्रकट करती है। इस चिट्ठी में वह व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन और आशीर्वाद प्रकट किया

भाजपा नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के नाम एक चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी उनके और पीलीभीत के लोगों के बीच के गहरे संबंध को प्रकट करती है। इस चिट्ठी में वह व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन और आशीर्वाद प्रकट करते हैं, साथ ही पीलीभीत के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहने का वादा करते हैं। इस चिट्ठी में वरुण गांधी ने अपने दर्द को भी बयां किया है, जो सियासी गलियारों में बहस का केंद्र बन गया है।

वरुण गांधी ने पीलीभीत के लोगों के लिए लिखी चिट्ठी में भावुक शब्दों में अपना समर्थन जताया है। उन्होंने चिट्ठी में बताया कि क्यों उनका पीलीभीत से टिकट कटा गया है, और इसका संकेत भी इशारों में किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने राजनीतिक मामलों में आम जनता की समस्याओं का ध्यान रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने पीलीभीत की जनता को आश्वासन दिया कि वे उनकी समस्याओं को सुनेंगे और उनके लिए समाधान ढूंढेंगे। उन्होंने उन लोगों को साथ खड़ा होने का आश्वासन दिया जो उन्हें समर्थन देते हैं, चाहे फिर उसका कोई भी कीमत हो। इस चिट्ठी में उनका दर्द भी प्रकट होता है जिसे वह इस्तेमाल किया है। वास्तव में, वरुण गांधी ने गुरुवार को लिखी चिट्ठी में जिस “कीमत चुकाने” का उल्लेख किया है, वह ढाई साल पहले प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी से सीधे जुड़ रहा है। 20 नवंबर 2021 को वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने प्रधानमंत्री के द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान का स्वागत किया था। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तत्काल निर्णय लेने की मांग की ताकि किसान अपने आंदोलन से वापस लौट सकें।

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वरुण गांधी ने आंदोलन के शहीद किसानों के परिवारों को भी आर्थिक सहायता देने की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, वरुण गांधी की इस चिट्ठी में वही मांगें शामिल थीं जो विपक्ष के नेता और किसान आंदोलन के समर्थक कर रहे थे। इस चिट्ठी के बाद, न केवल केंद्रीय नेतृत्व बल्कि केंद्र सरकार के साथ भी उनका संघर्ष बढ़ गया। वरुण गांधी ने चिट्ठी के माध्यम से ही केंद्र सरकार पर निशाना साधा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपने संदेश को पहुंचाया।

उन्होंने कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के ऐलान के बाद एक ट्वीट किया और कहा कि देश के किसानों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखा, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय समय पर लिया गया होता, तो उन 700 किसानों की जान बच सकती थी, जो अपने आंदोलन में बलिदान दे चुके थे।राजनीतिक जानकार टीबी सिंह के अनुसार, वरुण गांधी को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं देने का निर्णय लिया। हालांकि, उसके बाद उन्होंने लोगों की समस्याओं को सुनने और समाधान के लिए काम करना शुरू किया।

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उन्होंने सरकारी क्रय केंद्रों समेत अन्य जगहों पर जाकर किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझा। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के लिए लिखी गई चिट्ठी में अपनी आवाजों को सुनाया है, जो उन्होंने पहले भी उठाई थीं। उन्होंने अंतिम लाइनों में न केवल इन आवाजों को उठाने का वादा किया है, बल्कि कोई भी कीमत चुकाने के लिए भी तैयार हैं। इस चिट्ठी के माध्यम से, उन्हें पीलीभीत में कटे गए टिकट के साथ सीधा नाता जोड़ा जा रहा है।

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