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SC ने बदला ऑर्डर, केस पर भी नहीं दे सकेंगे बयान, क्या राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे संजय सिंह?

ईडी के रिमांड आवेदन में उठाए गए आरोपों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी।

ईडी के रिमांड आवेदन में उठाए गए आरोपों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी। इस आदेश के पीछे वह बातें जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया, उसकी उपस्थिति में जो कारण है, उसे समझने के लिए यह लेख आपको सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य से प्रकाशित किया गया है।

संजय सिंह को जमानत मिलने के पीछे की कहानी विवादों में घिरी हुई है। ईडी ने कहा है कि उन्हें दिल्ली शराब नीति केस के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है, जबकि उनके वकीलों ने इसे खारिज करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देने का निर्णय दिया, लेकिन आदेश में कुछ बातें जो ईडी के आरोपों का समर्थन करती थीं, उन्हें खारिज कर दिया गया है। आरोपों के मुताबिक, संजय सिंह दिल्ली शराब नीति से उत्पन्न ‘अपराध की आय’ को ठिकाने लगाने में शामिल रहे हैं, जिसमें वह शराब कारोबार से जुड़े समूहों से अवैध धन/रिश्वत इकट्ठा करने की साजिश का हिस्सा बने हैं।

उनका 2017 से दिनेश अरोड़ा के साथ घनिष्ठ संबंध है, जिसके जरिए वह अपने अवैध धन को छुपाने के लिए आरोपित है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी, लेकिन उनके बचाव में ईडी द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण आरोप इस फैसले को चुनौती देते हैं। इसमें संजय सिंह के राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के बारे में बात की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आदेश से हटा दिया है।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने पहले मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए आदेश पारित किया कि संजय सिंह कि जमानत की अवधि के दौरान राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के हकदार होंगे, जिसके अनुसार उन्हें जमानत दी जाती है।इसके अलावा, इस मामले में उठाए गए अन्य आरोपों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। ईडी ने अपने रिमांड आवेदन में दावा किया है कि संजय सिंह ने शराब घोटाले से उत्पन्न ‘अपराध की आय’ को वैध बनाने का आरोप लगाया है।

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संजय सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा  सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान दलील दी थी  कि दिनेश अरोड़ा ने अपने 10वें बयान में संजय सिंह का नाम लिया था, जबकि उसके द्वारा दिए गए  पिछले 9 बयानों में संजय सिंह का उल्लेख ही नहीं था। इसी के साथ उन्होंने यह तर्क भी  दिया कि संजय सिंह की गिरफ्तारी के  5 महीने  बाद में ही ,, ईडी ने कोई सबूत स्थापित नहीं किया है। विवाद में इस्तेमाल किए गए अन्य तत्वों में संजय सिंह के वकीलों ने उनकी निर्दोषता कि दिवानी खारिज करने का काम किया है। उनका दावा है कि उनके खिलाफ किए गए आरोपों में कोई प्रमाणित सच्चाई नहीं है और ईडी द्वारा प्रस्तुत किए गए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का उन्हें साबित करने का कोई प्रमाण नहीं है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी द्वारा उनके खिलाफ उठाए गए आरोपों को खारिज करने के लिए इसे उनकी निर्दोषता का समर्थन करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विरुद्ध उठाए गए आरोपों को सही और विश्वसनीय सबूतों के साथ साबित किया जाना चाहिए। इस रूप में, संजय सिंह के वकीलों की ओर से उठाए गए तर्कों के माध्यम से उन्हें बचाव में नया मोड़ मिल सकता है। इस मामले में आगे की कार्रवाई किस दिशा में होती है, यह देखने के लिए अगले कदमों का इंतजार किया जा रहा है।

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