
विश्व की सबसे बड़ी लोकतंत्रिक प्रणाली में, भारत, लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को मजबूती से प्रतिष्ठापित करने का संकल्प ले रहा है। भारतीय चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठने पर, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रों की तरफ से आई टिप्पणियों ने राजनीतिक मंथन को उत्तेजित किया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने हाल ही में बयान जारी किया कि उम्मीद है कि भारत में होने वाले चुनाव में अन्य देशों की तरह ही राजनीतिक और नागरिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे। इससे हर कोई स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में मतदान करने में सक्षम होगा।
इसके साथ ही, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी यह दावा किया है कि भारतीय लोग ही चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने की गारंटी हैं।इस विवाद के बीच, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों की भी चिंता और टिप्पणियाँ आई हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि वे केजरीवाल की गिरफ्तारी की रिपोर्ट पर नजर रख रहे हैं और एक निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं। जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी यह दावा किया है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मानकों को अपनाने की जरूरत है।

भारतीय सरकार ने इसे तर्कसंगतता से ठुकराया है और कहा है कि ऐसी टिप्पणियाँ भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं। भारत के न्यायिक प्रक्रियाओं को उन्नत, स्वतंत्र और विश्वसनीय माना जाता है, जो कि देश के लोकतंत्र की पीठ होती है।इसके अलावा, भारत में आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी में दलों की चुप्पी भंग हो रही है।
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चुनाव प्रक्रिया के दौरान, राजनीतिक पार्टियों को न्यायिक प्रक्रियाओं का समर्थन करने और निष्पक्षता का पालन करने की जरूरत है। यह सिद्ध होता है कि भारतीय चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए न केवल देश की बल्कि विश्व समुदाय की भी जिम्मेदारी है।भारतीय लोकतंत्र को समृद्ध और स्थिर बनाए रखने के लिए, सभी दलों को चुनावी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए।
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