रुद्रप्रयाग में भी कांग्रेस को एक और झटका, लक्ष्णी राणा द्वारा BJP कैंडिडेट अनिल बलूनी के समर्थन में लिखी गई चिट्ठी
लक्ष्मी राणा ने अपने समर्थकों और शुभचिंतकों को चिट्ठी लिखकर बताया कि उनकी इस नई यात्रा का फैसला नवरात्रि के पवित्र पर्व के दौरान हुआ। उन्होंने विश्वगुरु बनने और हिंदू राष्ट्र की कल्पना को साकार करने के लिए भाजपा को समर्थन देने की आवश्यकता को महसूस किया।
लक्ष्मी राणा, जो पूर्व में कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगभग 27 वर्षों तक प्रतिबद्ध रही थी, ने हाल ही में अपनी नई राजनीतिक राह में बदलाव को दिखाया है. वे नौ मार्च को कांग्रेस पार्टी से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे चुकी हैं और अब वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में उत्तराखंड के राजनीतिक मंच पर उतरी हैं। लक्ष्मी राणा ने अपने समर्थकों और शुभचिंतकों को चिट्ठी लिखकर बताया कि उनकी इस नई यात्रा का फैसला नवरात्रि के पवित्र पर्व के दौरान हुआ। उन्होंने विश्वगुरु बनने और हिंदू राष्ट्र की कल्पना को साकार करने के लिए भाजपा को समर्थन देने की आवश्यकता को महसूस किया।
जबकि उन्होंने अपने निष्कासन का कारण नहीं बताया, लेकिन उन्होंने उत्तराखंड की गढ़वाल लोकसभा से भाजपा के प्रत्याशी अनिल बलूनी को समर्थन दिया है। लक्ष्मी राणा ने चिट्ठी में उनकी प्रशंसा कीऔर कहा कि बलूनी ने गढ़वाल के लिए अथक प्रयास किए हैं और उन्हें भाजपा के पक्ष में वोट देने का आग्रह किया। लक्ष्मी राणा ने अपने समर्थकों से भारत की मजबूती के लिए हरिद्वार और टिहरी लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशीयों को समर्थन देने की भी अपील की।
इसके अलावा, लक्ष्मी राणा के इस निष्कासन के पीछे के कुछ अन्य कारण भी हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की करीबी होने वाली लक्ष्मी राणा ने पार्टी से अलविदा कह दिया था। यह संकेतक है कि उनके बीच विचार-विमर्श में कुछ असंतोष हो सकता है। लक्ष्मी राणा के इस फैसले के बाद, कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक और मुश्किल घड़ी है। वे पहले ही इस समय कई राज्यों में चुनावी मेहमान बने हुए हैं और इस तरह के निष्कासन से पार्टी की मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं।
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अब देखना होगा कि लक्ष्मी राणा के इस नए कदम से उत्तराखंड की राजनीतिक परिस्थितियों में कैसा पलटाव आता है। वह अपनी नई राजनीतिक पारी में कितनी मजबूत होती हैं, यह भी देखने लायक होगा। लक्ष्मी राणा का निष्कासन उत्तराखंड की राजनीतिक सीन पर एक नया चेहरा लाने की संकेत दे रहा है। इससे पहले ही कांग्रेस पार्टी की कई बड़ी नेताओं ने पार्टी को छोड़ा है और इस तरह की घटनाएं पार्टी की मजबूती पर सवाल उठा रही हैं। लेकिन लक्ष्मी राणा के इस नए कदम से क्या परिणाम सामने आते हैं, यह अभी समय ही बताएगा।