राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मिलने पर उन्हें रोकने के विरोध में केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने बताया कि तिहाड़ जेल में केजरीवाल की सुरक्षा से जुड़े नियमों में केंद्र की हस्तक्षेप के चलते बदलाव हो रहे हैं, जिससे उनकी जिंदगी को खतरा हो सकता है। संजय सिंह ने इस बयान के साथ यह भी कहा कि तिहाड़ जेल में कैदियों की हत्याओं की घटनाएं सामने आ रही हैं, और वहां केजरीवाल की सुरक्षा में खिलवाड़ हो रहा है। इसके अलावा, उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को भी तिहाड़ जेल में उनसे मिलने से रोक दिया गया है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफे से गठबंधन पर असर के बारे में पूछे जाने पर संजय सिंह ने कहा कि इससे कुछ असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इस बार चुनाव मोदी सरकार के खिलाफ लड़ा जा रहा है, और इससे गठबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडेय ने इस बीच उठाई गई मुद्दों पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव हारने के डर से घबराई है, और इसके परिणामस्वरूप वह आम आदमी पार्टी के कैंपेन गीत पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने इसे भाजपा की हार का संकेत माना, और कहा कि लोग भाजपा की ‘जेल भेजो’ नीति के खिलाफ खड़े हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के समर्थकों को जेल में अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने की अपील की।
यहां तक कि कांग्रेस के एक अधिकारी ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ हो रही चुनौती राजनीतिक है, और इसमें वे उनके साथ हैं। उन्होंने भी भाजपा की ‘जेल भेजो’ नीति का मजाक उड़ाया, और कहा कि लोग इसे ठुकराएंगे। इस बीच, भाजपा के प्रवक्ता ने इन आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं, और इसका कोई भी सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस केवल चुनावी रणनीति के तहत इस तरह की अफवाहें फैला रही हैं।
ये खबर भी पढ़ें: संदेशखाली मामले में TMC पहुंची चुनाव आयोग, कहा- CBI के एक्शन का इलेक्शन पर पड़ सकता है असर
अब दिल्ली के लोगों के हाथ में है कि वे किसे चुनते हैं। चुनाव आएगा, और जनता का फैसला होगा। जितना भी हो, राजनीतिक प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए, और चुनाव प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। इस संवाद में दिख रहा है कि दिल्ली के राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ रहा है, और चुनाव से पहले दलों के बीच तीखी बहसें हो रही हैं। लेकिन अंततः, जनता की राय ही सब कुछ होती है, और उसके फैसले के बाद ही सच्चाई सामने आती है।