कोर्ट ने ख़ारिज की अक्षय बम की याचिका, हत्या के प्रयास के मामले में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत
इंदौर के जिला न्यायालय द्वारा हत्या के प्रयास के 17 साल पुराने मामले में इंदौर के स्थानीय कारोबारी अक्षय कांति बम और उनके पिता को अग्रिम जमानत देने से साफ़ इनकार कर दिया है।
इंदौर के जिला न्यायालय द्वारा हत्या के प्रयास के 17 साल पुराने मामले में इंदौर के स्थानीय कारोबारी अक्षय कांति बम और उनके पिता को अग्रिम जमानत देने से साफ़ इनकार कर दिया है। अदालत ने शुक्रवार को कहा कि इस प्रकरण में आरोपियों की गिरफ्तारी की आशंका प्रकट नहीं होती है। अक्षय कांति बम, जो पिछले दिनों इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे, अपना नामांकन वापस ले लिया था और बीजेपी का समर्थन लिया था। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा आरोप लगाया गया था कि अक्षय बम के खिलाफ एक पुराने मामले में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) लगायी गई थी, और उसे धमकाया गया था। उसे पूरी रात अलग-अलग तरीकों से धमकाया गया, जिसके बाद उसने अपना नामांकन वापस ले लिया।
अक्षय कांति बम पर 4 अक्टूबर 2007 को FIR दर्ज की गई थी उनपर यूनुस खान के साथ जमीन विवाद के दौरान हमला, मारपीट एवं धमकाने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी। हालाँकि उस समय यूनुस पर गोली भी चलाई गई थी लेकिन खजराना पुलिस द्वारा तब एफआईआर में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी थी। जिस दिन अक्षय कांति बम द्वारा इंदौर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा गया, उसी दिन कोर्ट के आदेश पर 17 साल पुराने इस मामले में उनपर आईपीसी की धारा 307 को लगाया गया जिसके बाद उन्हें 10 मई को कोर्ट में पेश करने का आदेश भी दिया गया।
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कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने नामांकन वापस लेने के लिए अक्षय बम को धमकाया था। इस प्रकार, नेता बदलाव के मामले में राजनीतिक गलियारे का मुद्दा उठा है। अक्षय कांति बम के मामले में न्यायिक दायरे में उठाई गई यह घटना राजनीतिक दलों के बीच उत्तेजना और बहस का केंद्र बन गई है। इसके बावजूद, अदालत ने अक्षय कांति बम और उनके पिता को अग्रिम जमानत से इनकार कर दिया है, क्योंकि उन्होंने मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी की आशंका प्रकट की है।