रंजन यादव, जो पूर्व में लालू यादव को हराने वाले और बाद में उनके खास दोस्त बन गए, ने एक बार फिर से आरजेडी का दामन थाम लिया है। पूर्व सांसद रंजन यादव को मनोज झा ने एक बार फिर से पार्टी की सदस्यता दिलाई है। रंजन यादव ने 2009 में लालू यादव को पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र से हराया था।
पाटलिपुत्र संसदीय सीट से कभी लालू प्रसाद को पटखनी देने वाले जदयू नेता रंजन यादव एक बार फिर राजद में शामिल हो गए। वे आज राजद कार्यालय में आयोजित एक मिलन समारोह में रंजन यादव राजद के साथ जुड़ गए। रंजन यादव किसी दौर में लालू प्रसाद के मित्रों की श्रेणी में शामिल थे। लालू प्रसाद के अधिकांश फैसलों में रंजन यादव उनके साथ रहे। रंजन यादव दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहे। दोनों बार जनता दल ने उन्हें यह मौका दिया। पहली बार 1990 से 1996 और इसके बाद 1996 से 2002 तक, लेकिन इसके बाद वे राजद छोड़ जदयू में शामिल हो गए।
इससे पहले रंजन यादव बुधवार को लालू प्रसाद से राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर मुलाकात कर राजद में शामिल होने वाले थे। लेकिन, आदर्श आचार संहिता को देखते हुए कल यह कार्य हो नहीं पाया। मनोज झा ने कहा कि रंजन यादव पुराने समाजवादी हैं। उनके वापस पार्टी में शामिल होने से राजद और मजबूत होगा। जदयू ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। उनका मुकाबला राजद नेता और पुराने मित्र लालू प्रसाद से होना था। इस चुनाव में लालू प्रसाद अपने मित्र रंजन यादव से पराजित रहे। बाद में उनका जदयू से भी मोहभंग हुआ और वे कुछ दिनों के लिए भाजपा में आए।
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इसके पूर्व उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राष्ट्रवादी) भी बनाई, लेकिन समय के साथ वे राजनीति के हाशिये पर चले गए। अब रंजन यादव एक बार फिर राजनीति में वापसी कर ली है। रंजन यादव ने राजनीति में अपना कदम बड़े ही साहसिकी से रखा और लालू यादव के साथ एक बड़ा संघर्ष किया। उनका योगदान राजनीतिक वातावरण में महत्वपूर्ण रहा है और उन्होंने अपने संघर्षों के माध्यम से अपने आत्मविश्वास को साबित किया। रंजन यादव की राजनीतिक यात्रा में कई मोड़ आए और उन्होंने हमेशा नए उतार-चढ़ाव का सामना किया। उन्होंने लालू यादव के साथ मित्रता की शुरुआत की, लेकिन फिर उनके बीच अलगाव हो गया। रंजन यादव का पुनरागमन राजनीति में एक महत्वपूर्ण पल बन सकता है। उनकी वापसी से राजद को नई ऊर्जा मिलेगी और पार्टी को मजबूती मिलेगी।
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रंजन यादव के भविष्य के बारे में कुछ कहना अभी नहीं सम्भव है, लेकिन उनका पुनरागमन राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्हें अपने करियर के नए चरण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है और उनका योगदान राजनीतिक व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।