Loksabha election 2024: राम मंदिर के निर्माण पर सियासी बयानबाज़ी अशोक गहलोत ने कहा अगर कांग्रेस की केंद्र में सरकार होती तो भी राम मंदिर बनता
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राम मंदिर के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दावों का कड़ा विरोध किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राम मंदिर के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दावों का कड़ा विरोध किया है। अशोक गहलोत ने साफ किया कि राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ है, और अगर केंद्र में यूपीए की सरकार होती तब भी मंदिर का निर्माण निश्चित रूप से होता। गहलोत ने कहा, “राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ है। अगर सरकार एनडीए की बजाय यूपीए की होती तब भी मंदिर का निर्माण होता। अगर सरकार बीजेपी की जगह कांग्रेस की होती तो भी राम मंदिर बनता। वे (बीजेपी) भ्रम फैला रहे हैं। जनता समझ चुकी है कि पीएम मोदी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।”
लोकसभा चुनावों के दौरान राम मंदिर का मुद्दा लगातार चर्चा में है। बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही भव्य राम मंदिर का निर्माण संभव हो पाया है। पीएम मोदी ने अपनी उत्तर प्रदेश की चुनावी रैली में यहां तक कहा कि अगर सपा और कांग्रेस की सरकार आई, तो रामलला को फिर से टेंट में भेज दिया जाएगा और मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे को लेकर अपनी बात रखी। सीतापुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “सपा-कांग्रेस और पाकिस्तान, भारत, भारतीयता, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के विरोध में हैं। आई.एन.डी.आई. गठबंधन के लालू प्रसाद यादव ने मुसलमानों को ओबीसी के आरक्षण देने की वकालत की है।”
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गौरतलब है कि राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद शुरू हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित भूमि को राम मंदिर के पक्ष में देते हुए सरकार को निर्देश दिया था कि वह मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाए। इसके बाद से मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से जारी है। अशोक गहलोत ने बीजेपी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा, “बीजेपी बार-बार यह दावा कर रही है कि राम मंदिर का निर्माण सिर्फ उनकी सरकार में हो सकता था, जबकि सच्चाई यह है कि यह निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रहा है। बीजेपी इस मुद्दे को सिर्फ चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है।
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कांग्रेस का मानना है कि राम मंदिर का मुद्दा एक धार्मिक और संवेदनशील मामला है, जिसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि न्यायालय का फैसला सभी को मान्य होना चाहिए और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। बीजेपी ने भी अशोक गहलोत के बयानों पर पलटवार किया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि अगर कांग्रेस इतनी ही मंदिर समर्थक थी, तो उनके शासनकाल में मंदिर निर्माण क्यों नहीं हुआ? बीजेपी का यह भी दावा है कि मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए जो कदम उठाए हैं, वे अद्वितीय हैं और इससे पहले किसी सरकार ने ऐसा नहीं किया।
विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे को चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रही है। राम मंदिर निर्माण को लेकर जनता में भावनात्मक जुड़ाव है और बीजेपी इसी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। वहीं, कांग्रेस इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है कि मंदिर निर्माण का श्रेय किसी एक पार्टी को नहीं दिया जा सकता, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया का परिणाम है।