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NDA की बैठक में जयंत चौधरी की उपेक्षा पर समाजवादी पार्टी ने साधा निशाना.

दिल्ली में शुक्रवार को एनडीए की बैठक आयोजित की गई, जिसमें भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य अठारहवीं लोकसभा के गठन पर चर्चा करना था। इस बैठक में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दल रहे राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी भी पहुंचे। हालांकि, समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी की उपेक्षा पर तंज कसते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला और उसे झूठा करार दिया।

दिल्ली में शुक्रवार को एनडीए की बैठक आयोजित की गई, जिसमें भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य अठारहवीं लोकसभा के गठन पर चर्चा करना था। इस बैठक में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दल रहे राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी भी पहुंचे। हालांकि, समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी की उपेक्षा पर तंज कसते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला और उसे झूठा करार दिया। समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट करते हुए कहा, “रालोद के मुखिया जयंत चौधरी को मंच पर स्थान तक नहीं दिया गया, जबकि उनकी पार्टी की 2 सीटें हैं। वहीं, 1-1 सीट वाले दलों के नेताओं को मंच पर साथ में बिठाया गया। यह भाजपा की जाट समाज से नफरत और स्व. चौधरी चरण सिंह जी एवं चौधरी अजीत सिंह जी के प्रति नाटकीय झूठे सम्मान का भंडाफोड़ कर रहा है।”

ट्वीट में आगे कहा गया, “जयंत चौधरी जी अगर सच में किसान हितैषी हैं, तो उन्हें एनडीए से दूरी बनानी चाहिए और किसान हितों पर भाजपा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। किसी भी प्रकार के लालच के चक्कर में अपने स्वाभिमान और किसान हितों का सौदा बीजेपी से नहीं करना चाहिए।” यह घटना तब घटी जब एनडीए की बैठक में विभिन्न सहयोगी दलों के नेताओं को सम्मानित करने के लिए मंच पर बुलाया गया था। समाजवादी पार्टी का आरोप है कि भाजपा ने जानबूझकर जयंत चौधरी को मंच पर स्थान नहीं दिया, जबकि अन्य छोटे दलों के नेताओं को मंच पर सम्मानित किया गया। समाजवादी पार्टी के अनुसार, यह भाजपा की जाट समाज के प्रति नफरत और स्व. चौधरी चरण सिंह एवं चौधरी अजीत सिंह के प्रति नाटकीय झूठे सम्मान को उजागर करता है।

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जयंत चौधरी का एनडीए के साथ गठबंधन करना पहले से ही विवादास्पद रहा है। रालोद का ऐतिहासिक रूप से किसान आंदोलन और जाट समुदाय के समर्थन पर आधारित रहा है, और जयंत चौधरी के भाजपा के साथ हाथ मिलाने पर कई आलोचनाएं हुई हैं। समाजवादी पार्टी ने इस घटना का फायदा उठाते हुए जयंत चौधरी पर निशाना साधा और उन्हें भाजपा से दूरी बनाने का सुझाव दिया। समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा कहा गया , की “यदि जयंत चौधरी सच में किसान हितैषी हैं, तो उन्हें NDA से तुरंत अलग हो जाना चाहिए और भाजपा के खिलाफ किसान हितों की लड़ाई में शामिल होना चाहिए।”

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इस घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि जयंत चौधरी की उपेक्षा ने राजनीति के गलियारों में चर्चाओं को जन्म दे दिया है। समाजवादी पार्टी ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए भाजपा और जयंत चौधरी दोनों पर तीखा हमला बोला है, और जयंत को उनके राजनीतिक निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की है। इस पूरी घटना ने एनडीए के भीतर सहयोगियों के बीच आपसी संबंधों और समीकरणों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि जयंत चौधरी और रालोद इस परिस्थिति से कैसे निपटते हैं और भाजपा के साथ उनके गठबंधन का भविष्य क्या होता है।

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