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6 राज्यों की 8 लोकसभा सीटों पर EVM जांच की याचिका, किन पार्टियों ने चुनाव आयोग से की मांग

चुनाव आयोग के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीटों पर ईवीएम की जांच के लिए कुल 92 मतदान केंद्रों की मशीनों की जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर चुनाव आयोग को कुल आठ याचिकाएं मिली हैं, जिनमें से कुछ याचिकाएं बीजेपी और कांग्रेस ने दायर की हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीटों पर ईवीएम की जांच के लिए कुल 92 मतदान केंद्रों की मशीनों की जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं। लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर चुनाव आयोग को कुल आठ याचिकाएं मिली हैं, जिनमें से कुछ याचिकाएं बीजेपी और कांग्रेस ने दायर की हैं। महाराष्ट्र के अहमदनगर से बीजेपी के उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल ने 40 मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीनों की वेरिफिकेशन की मांग की है। विखे पाटिल इस सीट से एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार निलेश लंके से हार गए थे। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी और तमिलनाडु में डीएमके के उम्मीदवारों ने भी ईवीएम की जांच के लिए कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार, तमिलनाडु के वेल्लोर और तेलंगाना की जहीराबाद सीटों से बीजेपी उम्मीदवारों ने ईवीएम की जांच की मांग की है। हरियाणा की करनाल और फरीदाबाद सीटों तथा छत्तीसगढ़ की कांकेर सीट से कांग्रेस उम्मीदवारों ने भी ईवीएम जांच के लिए याचिकाएं दायर की हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, छह राज्यों की आठ संसदीय सीटों पर ईवीएम की जांच के लिए याचिकाएं दायर की गई हैं। कुल मिलाकर 92 मतदान केंद्रों की मशीनों की जांच की मांग की गई है। चुनाव आयोग की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, यह याचिकाएं विभिन्न दलों के उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई हैं, जिनमें बीजेपी, कांग्रेस, वाईएसआरसीपी और डीएमके शामिल हैं।

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Election Comission की ओर से एक जून को जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के मुताबिक़ , चुनावी नतीजों में दूसरे या तीसरे स्थान पर आए उम्मीदवारों को ईवीएम की जांच के लिए 47,000 रुपये का भुगतान करना होगा। यह राशि ईवीएम बनाने वाली कंपनियों BEL और ECIL को दी जाएगी, जो ईवीएम की जांच करेंगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर की आशंका को निराधार बताते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग को खारिज कर दिया था। हालांकि, यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा था कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्च उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। यदि किसी स्थिति में ईवीएम में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस दिया जाएगा। इस प्रकार, ईवीएम की जांच की मांग करते हुए दायर की गई याचिकाओं पर चुनाव आयोग की कार्रवाई और जांच प्रक्रिया जारी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनावी प्रक्रिया में कोई अनियमितता न हो।

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